प्रदेश की राजधानी में भी नही महिलाएं सुरक्षित,नही कोई मददगार ...
सब खेल कुर्सी का
लखनऊ:- राजनीति में करनी और कथनी का अंतर सुना तो बहुत था, कि नेता जी की बात चुनावी जुमला मात्र ही होती है जो सत्ता हासिल करने से पहले जनता के लिए कुछ और एवं सत्ता पर काबिज़ होते है चुनाव पूर्व माई बाप रही जनता के गोद लिए बाप नेताजी स्वयं कैसे बन जाते है, न किसी की सुनना न हाल लेना सिर्फ अपने मन की बात करना और सुनना। चुनावी नारो या जुमले तो हम सब ने बहुत सुनें है जैसे जय जवान जय किसान अब किस की जय है यह हम सब स्वयं देख रहे है दोनों ही बॉर्डर पर है एक देश के दूसरे प्रदेश के, सब का साथ सब का विकास बताना आवश्यक है तो नही क्योकि विकास लापता है खोज निरंतर जारी है, खाते में 15 लाख उम्मीद पर दुनिया कायम है, अच्छे दिन आएंगे अब इससे अच्छे न ही आये तो सब के लिए बेहतर है, ऐसे अनगिनत वादे कर वर्तमान सरकार सत्ता पर काबिज़ हुई थी अब कितने पूरे हुए यह हम सब जानते है इन वादों के बीच एक बहुत ही भावनात्मक वादा कहना गलत न होगा मै इसको आधी आबादी के साथ धोखा कहूंगा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का चुनावी जुमला, सब बातों को दरकिनार कर मेरा स्वयं सरकार एवं उसके अधीन प्रशासन से प्रश्न है बाक़ी सब वादों को तो हम चुनावी जुमला मान अपने मन मष्तिष्क को संतावना दे चुके है, परंतु कम से कम इस वादे पर तो वर्तमान सरकार ख़री उतरती, क्या सुधार हुआ आधी आबादी के विरुद्ध क्या बढ़ते हुए अपराधों की संख्या में कमी आई, उत्तर है नही जिसके साक्ष्य स्वयं सरकारी आंकड़े देते है कि साल 2014 नवंबर से 2021 मार्च तक महिलाओं के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामलों की संख्या क्या है। ह्यूमन राइट्स के अनुसार हमारे देश में जहाँ नारी को जगजनन्नी देवी का स्वरूप मानते है वहाँ आधी आबादी के साथ होते अपराधों में कमी होने के विपरीत संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। अब जवाबदेही तो बनती है और हमारा लोकतांत्रिक संविधान हमको इतनी आज़ादी तो अभी भी देता है कि हम किसी के भी मन की बात सुने परंतु जब प्रश्न करने की बारी आये तो प्रश्न अवश्य करें कि क्या हाल है और क्यों ऐसा हाल है आप के रहते हुए। क्या इस सब केे लिए ही जनता ने सौपी थी सत्ता की बागडोर आपको।
बात मुद्दे की
प्रधानमंत्री का नारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को ठेंगा दिखा रही प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सरोजनी नगर पुलिस, पुरा मामला सरोजनीनगर थाना की बदाली खेड़ा चौकी का है। सरोजनी नगर थाना क्षेत्र में बेटियाँ नही सुरक्षित, दबंगों ने बेटियों से की छेड़छाड़, विरोध पर जमकर पीटा, सर फटा पर जहाँ दबंगों द्वारा बेटियों को दी जा रही है जान से मारने की धमकी, वही दूसरी ओर सरोजनी नगर पुलिस पर मामले को दाबने के आरोप पीड़ित युवतियों द्वारा लगाए जा रहे है। छेड़छाड़ व मारपीट जैसे गंभीर आरोपों पर सरोजनी नगर पुलिस ने धारा 151 में उल्टा शिकायतकर्ता पर ही दर्ज किया मुकदमा। 3 दिन से बेटियां लगा रही थाने के चक्कर नहीं मिल रहा है न्याय। सरोजनीनगर पुलिस दबंगों को दे रही पूर्ण संरक्षण लगातार बेटियों पर बना रही थी सुलह समझौते करने का दबाव।डायल 112 पर सूचना देने के बाद भी नहीं मिली सहायता।
अब पीड़ित युवतियां किस से लगाये न्याय की गुहार या ऐसे ही होता रहेगा आधी आबादी का शोषण न होगी कोई कार्यवाही मोदी योगी राज में दबंगो पर। बना रहेगा शासन प्रशासन मूकदर्शक होता रहेगा जगजन्नानी का यूँही अपमान। जवाबदेही तो बनती है समय रहते शासन प्रशासन सचेत हो अपने वादों और कार्यशैली को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दे अन्यथा देश की जनता स्वयं फैसला लेगी की आगामी चुनावों में उसको अपने या चुनावी जुमलेबाज़ों में से किस के हाथ मज़बूत कर सत्ता की बागडोर सौंपनी है।
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