सोमवार को आएगा फैसला ...
यूपी हिंसा...
लखनऊ में सीएए के विरोध प्रदर्शन में निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की फोटो सार्वजनिक स्थान पर लगाए जाने के मामले में रविवार को लखनऊ प्रशासन ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष पेश किया। हाईकोर्ट ने इसे निजता के अधिकार का हनन मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया है।
रविवार को अवकाश होने के बावजूद मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की स्पेशल बेंच ने इस पर सुनवाई की। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। इसे सोमवार नौ मार्च को दिन में दो बजे सुनाया जाएगा।
कोर्ट ने लखनऊ के डीएम और मंडलीय पुलिस कमिश्नर से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था कि किस कानून के तहत उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर फोटो चस्पा किए हैं। रविवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने यह कहते हुए जनहित याचिका पर आपत्ति की कि लोक व निजी संपत्ति को प्रदर्शन के दौरान नुकसान पहुंचाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
जिन लोगों के फोटो लगाए गए हैं वह कानून का उल्लंघन करने वाले लोग हैं। इनको पूरी जांच और प्रक्रिया अपनाने के बाद अदालत से नोटिस भी भेजा गया था। मगर कोई भी सामने नहीं आ रहा है, इसलिए सार्वजनिक स्थान पर इनके फोटो चस्पा किए गए हैं।
महाधिवक्ता का कहना था कि सरकार का कदम कानून सम्मत है और ऐसा करने में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों मे जनहित याचिका के जरिए हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। सरकार की कार्रवाई हिंसा व तोड़फोड़ की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए है। उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए कई न्यायिक आदेशों की नजीरें भी पेश कीं।
हालांकि कोर्ट इस बात से सहमत नहीं थी और पूछा कि ऐसा कौन से कानून है जिससे सरकार को सार्वजनिक स्थान पर फोटो चस्पा करने का अधिकार मिल जाता है। दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले में फैसला सोमवार को दिन में दो बजे सुनाया जाएगा। सरकार की तरफ से महाधिवक्ता के अलावा अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, मुर्तजा अली अपर शासकीय अधिवक्ता ने पक्ष रखा।
तीन बजे आए महाधिवक्ता
इससे पूर्व सुबह दस बजे सुनवाई शुरू होते ही अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने अदालत से अनुरोध किया कि महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह इस मामले में सरकार का पक्ष रखेंगे। मौसम की खराबी के कारण दिल्ली से उनकी फ्लाइट आने में विलंब है।
इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सुनवाई तीन बजे तक टाल दी। कोर्ट ने सार्वजनिक स्थान पर लोगों के फोटो चस्पा करने को गंभीर बात मानते हुए कहा कि आप के पास तीन बजे तक समय है यदि कुछ करना चाहते हों तो कर सकते हैं। तीन बजे महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह आए तो मामले की सुनवाई फिर शुरु हुई।
बाहरी वकील नहीं कर पाए प्रवेश
सुबह दस बजे अदालत की सुनवाई शुरु हुई तो इसकी सूचना पाकर कई वकील अदालत आ पहुंच गए।एक अधिवक्ता ने मेंशन कर इससे जुड़े कुछ और मामलों की सुनवाई का अनुरोध किया मगर अदालत ने कहा कि वह सिर्फ इस मामले को ही सुनेंगे जिसके लिए बेंच गठित की गई है। दिन में तीन बजे सुनवाई शुरु हुई तो सरकारी वकीलों को छोड़कर अन्य को कोर्ट में प्रवेश करने से रोक दिया गया। लिहाजा काफी संख्या में वकील बाहर की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करते रहे।
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