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परीक्षा के तनाव में खत्म कर रहे जिंदगी ...

इन बातों का रखें ख्याल

परीक्षा के तनाव में छात्र-छात्राओं का आत्महत्या करना बड़ी समस्या है। कानपुर में अकेले फरवरी में ही तीन छात्राओं ने परीक्षा के तनाव में जान दे दी। 12 फरवरी को गोविंद नगर निवासी नवीं की छात्रा अंशिका उर्फ खुशी (14), 14 फरवरी को महाराजपुर में दसवीं की संध्या (15) और शुक्रवार को शिवराजपुर के निवादा गांव में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा मनीषा पाल (18) ने जान दे दी थी।

पुलिस की जांच में पता चला था कि मनीषा एक बार फेल हो चुकी थी। इस बार परीक्षा से पहले ही डरकर खुदकुशी कर ली। छात्र-छात्राओं को डरने नहीं जरूरत है समझने की कि यह उनकी अंतिम परीक्षा नहीं है, शुरुआत भर है।
अभिभावक भी समझदारी दिखाएं, बच्चों पर दबाव न बनाएं। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल भी परीक्षा के तनाव में 13 छात्र-छात्राओं ने जान दी थी। 

बोर्ड परीक्षाओं का तनाव अधिक

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में 13 छात्र-छात्राओं ने खुदकुशी की। इसमें 23.6 फीसदी बच्चे 10वीं और 12वीं कक्षा के थे। वहीं हायर एजुकेशन के 16.04 फीसदी थे। 

परीक्षाओं के दौर में रखें खास ख्याल

1- अभिभावक परीक्षाओं से पहले हर दिन बच्चों से बातचीत करते रहें। 
2- अगर बच्चे तनाव महसूस करें तो उनका प्रोत्साहन जरूर करें। 
3- परीक्षा में अधिक नंबर लाने का किसी तरह का दबाव न डालें। 
4- हर समय पढ़ाई के लिए टोका-टाकी न करें, मनोरंजन के साथ पढ़ने में सहयोग करें। 
5- किसी अन्य छात्र या छात्रा से तुलना कर बच्चे का हौसला कम न करें। 
6- परीक्षा में टॉप करने जैसा कोई टारगेट न दें। 
7- बच्चों की जिस विषय में रुचि हो, उसी में करियर बनाने को प्रोत्साहित करें। 
8- अगर बच्चे अधिक तनाव महसूस करें तो काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें। 

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