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सरकारी अस्पताल बने आवारा कुत्तों का बसेरा,अस्पताल असुरक्षित ...

ईश्वर न करे अगर आपको स्वयं किसी इष्ट मित्र, संबंधी, पारिवारिक सदस्य को कोई बीमारी या शारीरिक कष्ट होता है तो हम तुरंत उचित उपचार के लिए अस्पताल ले जाते है कि बीमार व्यक्ति यताशीघ्र उचित उपचार पाकर स्वस्थ हो जाए परंतु जब अस्पताल जैसा स्थान स्वयं संक्रमित वस्तुओं एवं ख़तरनाक अवारा जानवरो का केंद्र बन जाए तो आप क्या करेंगे ,जली न दिमाग की बत्ती

कानपुर नगर फेथफुलगंज स्थित कैन्ट हॉस्पिटल में महिला प्रसूति वार्ड नहीं है पूरी तरह सुरक्षित जच्चा बच्चा हो सकते हैं खतरनाक कटखने कुत्तों का शिकार अस्पताल परिसर के बाहर आवारा कटखने कुत्तों का रहता बसेरा,कभी भी हो सकता बड़ा हादसा,जा सकती है किसी मासूम की जान। अस्पताल परिसर तथा कन्टोमेन्ट बोर्ड के छोटे तथा बड़े अधिकारी साधे चुप्पी निभा रहे धृतराष्ट्र की भूमिका। शहर में आए दिन आवारा मवेशियों के साथ दिन प्रतिदिन आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण चाहे सरकारी विभाग हो या फिर सरकारी अस्पताल, गली कूचा, रोड या फिर फुटपाथ हर जगह पर आपको खतरनाक कटखने आवारा कुत्तों का झुंड दिखाई देगा जिससे रोड पर पैदल चलने वाले तथा छोटे बड़े वाहन चालकों को ये रात के अंधेरे में चुटहिल तथा जख्मी कर देते हैं कुछ लोग तो आवारा कुत्तों के काटखाने से अपनी अपनी जान भी गवा चुके हैं,कानपुर शहर के नगर निगम के कैटल कैचिंग दस्तो की टीम द्वारा आवारा पशुओं तथा कुत्तों की धर पकड़ केवल कागजात पर ही मात्र खानापूरी कर अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर मौज से मोटी तनख्वाह का सुख भोगते हैं।

जनता मरे हमें क्या, बस हमें तो अपनी अपनी तनख्वाह से मतलब,नगर निगम,कन्टोमेन्ट बोर्ड या अन्य कोई भी संबंधित विभाग सरकारी तनख्वाह पर स्वयं तो मौज कर रहा है और आम जनमानस को इन अवारा खतरनाक जानवरों के आतंक के बीच असुरक्षित जीवन बसर करने के लिए राम भरोसे छोड़ दिया है।

 (मनीष गुप्ता) 

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