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आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का दावा ...

गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों की जांच.....

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल से निकलने वाली एक्सरे के परावर्तन की उत्पत्ति की पहचान की है। इससे गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों की जांच की जा सकेगी। यह शोध इसरो के एस्ट्रोसैट के जरिये मिलने वाले डाटा का उपयोग करके किया गया है।
आईआईटी के प्रो. पंकज जैन का दावा है कि ब्लैकहोल बाइनरी सिस्टम में एक्सरे परावर्तन की पहचान करने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा। इसरो ने वर्ष 2015 में एस्ट्रोसैट सेटेलाइट लांच किया था। इस सेटेलाइट के मुख्य पांच उद्देश्य थे।

तारों और ब्लैकहोल से निकलने वाली एक्सरे की प्रक्रियाओं को समझना, तारे के चुंबकीय क्षेत्र का आकलन, चमकीले एक्सरे स्रोत को समझना। जटिल ब्लैकहोल सिस्टम को समझने के लिए इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) पुणे के प्रो. रंजीव मिश्रा, आईआईटी कानपुर के फिजिक्स विभाग के प्रो. पंकज जैन और पीएचडी छात्रा दिव्या रावत ने मिलकर शोध शुरू किया।

प्रो. पंकज जैन ने बताया कि इस डाटा के आधार पर हम अनुमानित दूरी पर मजबूत गुरुत्वाकर्षण प्रभावों की जांच करने में सक्षम हो गए हैं। हम उस स्थान तक पहुंच गए हैं, जहां तक ब्लैक होल के केंद्र से वापस न आने की सतह है। पीएचडी स्कॉलर दिव्या रावत ने कहा कि हमने ब्लैक होल सिस्टम में व्यापक रूप से ज्ञात एक्सरे परावर्तन की उत्पत्ति की पहचान की है। इससे भौतिक प्रक्रिया को समझने में काफी मदद मिलेगी।

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