स्वदेशी वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होंगे एक हजार वॉलंटियर ...
आईसीएमआर ने दी स्वीकृति
कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने स्वीकृति दे दी है। तीसरे ट्रायल की शुरुआत प्रदेश में शहर के आर्यनगर स्थित प्रखर अस्पताल से होगी। इसमें एक हजार वॉलंटियर शामिल होंगे। शुक्रवार से इनका रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा।
तीसरे ट्रायल की प्रक्रिया करीब तीन महीने तक चलेगी। इसमें खासतौर पर कोरोना के खतरों का सामना करने वाले वॉलंटियर को प्राथमिकता दी जाएगी। आईसीएमआर ने इस ट्रायल के संबंध में बुधवार को प्रखर अस्पताल को स्वीकृति दी। इसके तहत पहले पुराने व नए वॉलंटियर के रजिस्ट्रेशन होंगे। फिर इनकी आरटीपीसीआर पद्धति से कोविड जांच होगी।
साथ ही हाई ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और दूसरे वायरल संक्रमणों की भी जांच कराई जाएगी। पूरी तरह से स्वस्थ वॉलंटियर को ही वैक्सीन की डोज दी जाएगी। इस डोज के 28 दिन बाद वॉलंटियर का सैंपल लेकर आईसीएमआर की लैब भेजा जाएगा। यहां एंटीबॉडीज की जांच होगी। प्रदेश में तीसरे चरण के ट्रायल के लिए कानपुर के अलावा गोरखपुर और लखनऊ के भी चिकित्सा संस्थान शामिल हैं।
ट्रायल की शुुरुआत के मौके पर डायरेक्टर जनरल ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की टीम भी प्रखर अस्पताल में मौजूद रहेगी। पिछले दोनों ट्रायल के नतीजे अच्छे आने के बाद इस बार वॉलंटियर की संख्या बढ़ा दी गई है। वैक्सीन ट्रायल के चीफ गाइड डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया कि इस बार डॉक्टर, अधिकारी, मीडियाकर्मी समेत अधिक संख्या में वॉलंटियर शामिल किए जाएंगे।
दो ट्रायल में एंटीबॉडीज बहुत अच्छी बनीं
कोवैक्सिन को दुनिया के अलग-अलग देशों में बन रहीं वैक्सीन से ज्यादा बेहतर माना जा रहा है। स्वदेशी वैक्सीन का पहला डोज लेने वाले वॉलंटियर के शरीर में सवा चार महीने बाद भी एंटीबॉडीज बनने का सिलसिला जारी है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह वैक्सीन कोरोना से बेहतर सुरक्षा देगी। अब तक जिन करीब 50 लोगों को डोज दी गई है, किसी में कोई असामान्य साइड इफैक्ट नहीं आए हैं।
माना जा रहा है कि अगले साल लोगों को वैक्सीन का कवच मिल जाएगा। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने यह वैक्सीन तैयार की है। इसके लिए वायरस का स्ट्रेन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे ने चुना है। बताया जा रहा है कि वायरस के इस स्ट्रेन से अच्छी एंटीबॉडीज बन रही हैं। ट्रायल का संचालन आईसीएमआर के दिशा-निर्देशन में हो रहा है।
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