पशु प्रेमी डॉक्टर ने बचाया, चिड़ियाघर ने लेने से किया मना ...
पिटाई से घायल अजगर
कानपुर में ग्रामीणों की पिटाई से अधमरे 11 फीट के अजगर को सुरक्षित जगह नहीं मिल पा रही है। उसकी जान बचाने वाले पशु प्रेमी डॉक्टर को इसके लिए जूझना पड़ रहा है। वन विभाग, कानपुर और लखनऊ के चिड़ियाघर ने अजगर को लेने से मना कर दिया है। ऐसे में मजबूरन अजगर को किसी सुरक्षित जगह छोड़ने की तैयारी हो रही है।
चकेरी के ग्रेटर कैलाश नगर निवासी डॉ. टीके बोस विश्वास ने बताया कि गुरुवार को पांडु नगर पुल, पनकी के पास हाईवे से कार से गुजर रहे थे। जाम लगा होने पर जब वह कार से उतरे तो देखा कि कुछ लोग अजगर को पीट रहे थे। उन्होेंने अजगर को बचाया और घर ले आए। अजगर अधमरा हो चुका था। उसे एंटीबायोटिक और दर्द निवारक इंजेक्शन लगाए। काफी प्रयास के बाद अजगर अब स्वस्थ हो चुका है।
उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए पहले वन विभाग, फिर कानपुर प्राणिउद्यान और लखनऊ चिड़ियाघर से संपर्क किया लेकिन सभी जगह उसे लेने से मना कर दिया गया। अब रविवार को अजगर को कहीं सुरक्षित स्थान पर छोड़ देंगे। उन्होंने बताया कि इस काम में उनके साथ मित्र राहुल सिन्हा और बेटा आरिदम्म विश्वास भी थे। डॉ विश्वास ने बताया कि यह अजगर ब्लैक पाइथन प्रजाति का है।
उन्होंने बताया कि वह फिजीशियन होने के साथ गवर्नमेंट हंटर भी हैं। पशुओं के संरक्षण के लिए वह वसुंधरा नाम की संस्था भी चलाते हैं। उधर, इस बाबत डीएफओ, फॉरेस्ट रेंजर और प्राणी उद्यान से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कहीं कोई जवाब नहीं मिला।
जाओ, जंगल में छोड़ा आओ
डॉ. विश्वास ने बताया कि अजगर को छोड़ने के लिए उन्होंने वन विभाग में अरविंद यादव से संपर्क किया लेकिन उन्होंने अजगर लेने से मना कर दिया। इसी तरह फॉरेस्ट रेंजर डीके वाजपेयी ने भी यही जवाब दिया। कहा गया कि इसे जंगल में छोड़ आओ।
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