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पार्क में धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं को पुलिस ने खदेड़ा ...

 बिगड़ते बिगड़ते बचा शहर का मौहाल

आरोप/ प्रत्यारोप
पुलिस- कानून की अवहेलना, महिलाओ के प्रदर्शन को राजनीतिक रूप देना, जनता को भड़काऊ भाषण दे उकसाने का प्रयास।

प्रदर्शनकारी- पुलिस द्वारा अनावश्यक बलपूर्वक धरना प्रदर्शन समाप्त कराने का प्रयास एवम राजनीतिक दबाव के चलते शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रही महिलाओं में भय का मौहाल व्याप्त करना।

कानपुर में सीएए के विरोध में धरना प्रदर्शन के खत्म होने के एलान के बाद भी मोहम्मद अली पार्क में धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रविवार देर रात खदेड़ा। पुलिस ने कई महिलाओं को हिरासत में भी लिया।जिनको कुछ समय पश्चात छोड़ दिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद सोमवार सुबह हजारों की भीड़ सड़क पर उतर आई।

महिलाएं, बच्चे और पुरुषों ने चमनगंज की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। दोपहर तक समझाने के बाद भी जब ये नहीं माने तो पुलिस बैकफुट पर आई और पार्क में प्रदर्शन करने की इजाजत दी। मगर प्रदर्शनकारी सड़कों पर ही डटे रहे।
डीएम, डीआईजी समेत भारी पुलिस बल व प्रशासनिक अधिकारी क्षेत्र में तैनात हैं। प्रदर्शन दिल्ली के शाहीनबाग की तरह शुरू हो गया है। सात जनवरी से मोहम्मद अली पार्क में सीएए के विरोध में प्रदर्शन जारी है। खासतौर पर महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं।

क्या कहती है पुलिस

पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि दो दिन पूर्व सर्व सहमति से प्रदर्शन कर रही महिलाओं द्वारा सम्मानित ज़िम्मेदार व्यक्ति के समक्ष ज्ञापन सुपर्द कर सीएए का विरोध धरना समाप्त करने पर सहमति हो गई थी उसके उपरांत भी महिलाओं द्वारा प्रदर्शन जारी रखा गया जो कि कानून की अवहेलना है जिस की इजाज़त ज़िला प्रशासन कदापि नही दे सकता। शहर में कानून व्यवस्था स्थापित रखना प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा का दायित्व प्रशासन का है और किसी के भी द्वारा अगर कोई भी ऐसा कार्य किया गया जो कानून के अनुसार गलत पाया गया तो उस कर सख़्त कार्यवाही की जाएगी।

शनिवार को पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों संग बातचीत में प्रदर्शन खत्म करने पर सहमति बनी थी। अधिकतर प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को ही धरना खत्म कर दिया था मगर एक दो संगठनों की शह पर 20-30 महिलाएं धरने पर बैठी रहीं थीं।
पुलिस अधिकारियों के समझाने के बाद भी वह मानने को तैयार नहीं थीं। ऐसे में रविवार देर रात दो बजे के बाद भारी पुलिस बल वहां पहुंचा और महिला पुलिसकर्मियों ने महिला प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। जो प्रदर्शन को लीड कर रही थीं उनको हिरासत में लिया। पुलिस की इस कार्रवाई के विरोध में सोमवार सुबह से ही प्रदर्शन में महिलाएं जुटने लगीं।

दोपहर तक चमनगंज की हर सड़क पर लोग ही लोग नजर आ रहे थे। डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी और डीआईजी अनंत देव समेत आलाधिकारी और पुलिस बल वहां पहुंचा। कई घंटे तक बातचीत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। महिलाएं आगे रहीं और वह प्रदर्शन करने पर अड़ी रहीं। दोपहर करीब 12 बजे पुलिस अधिकारी पीछे हटे और प्रदर्शन जारी रहा।

पुलिस, पीएसी और आरएएफ ने जब रात को कार्रवाई की तो प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आये। रात करीब दो बजे शुरू हुए प्रदर्शन में अनिश्चितकाल तक जारी रखने पर प्रदर्शनकारी अड़े हैं।

क्या कहती है महिलाएं

चमनगंज मोहम्मद अली पार्क में सीएए का विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं का आरोप है कि उनके द्वारा पूर्ण सहमति का कोई भी ज्ञापन नही सौंपा गया था। जिलाधिकारी को जो ज्ञापन सौंपा गया था वह उन महिलाओं की ओर से था जिन पर पुलिस द्वारा कार्यवाही के नोटिस जारी किए गये थे भयवश अपने को बचाने के लिए कुछ दलालों(बिना नाम लिए) की साठगांठ के चलते शांतिपूर्वक हो रहे प्रदर्शन को समाप्त कराने की अनावश्यक कोशिश की गई, जिसके कारण क्षेत्र में अशांति और भय का मौहाल उत्पन्न हुआ।

टकराव का कारण

रविवार की देर रात मोहम्मद अली पार्क प्रदर्शन स्थल पर अप्रत्याशित पुलिसिया कार्यवाही बनी टकराव का प्रमुख कारण। पुलिस से वार्तालाप के बाद भी प्रदर्शन न समाप्त करने के चलते देर रात पुलिस को बलपूर्वक मोहम्मद अली पार्क सीएए धरना प्रदर्शन को समाप्त करने की चेष्टा की गई।

पुलिस की कार्रवाई से आक्रोशित है भीड़

प्रदर्शन में महिलाएं और बच्चे आगे हैं। इसलिए पुलिस शुरू से ही किसी भी तरह की कार्रवाई से बचती रही है। सोमवार को भी महिलाएं ही लीड कर रही थीं। महिलाओं का कहना था कि जब वह शांति से पार्क में प्रदर्शन कर रही थीं तो पुलिस को वहां कार्रवाई कर जबरन उठाने की क्या जरूरत थी। उन्होंने पुलिस पर लाठीचार्ज करने का भी आरोप लगाया।

घटनाक्रम संछिप्त में

बताते चले देर रात जैसे ही पुलिस द्वारा बलपूर्वक पार्क का धरना प्रदर्शन समाप्त कराने की चेष्टा की गई क्षेत्र की स्थिति गंभीर हो गई,पुलिसया कार्यवाही की ख़बर मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में जंगल की आग की तरह फैल गई, हज़ारों की संख्या में जन समूह सड़को पर निकल आया और पुलिस की कार्यवाही के विरोध में नारेबाज़ी करने लगा। भारी संख्या में मौजूद पुलिस बल द्वारा स्तिथि संभाल ने की लगातार कोशिश की जाती रही, ज़िला अधिकारी डीजीपी सी ओ एस एच ओ एवम पुलिस कर्मी जनता से संवाद कर निरंतर उनको शांति व्यवस्था बनाये रखने और संयोग की अपील करते रहे, क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक भी प्रशासन का संयोग करते नज़र आए एवम जनता को समझाते नज़र आए परंतु महिलाएं अपनी बात पर अड़ी है।

प्रशासन के आला अधिकारियों के समझाने एवम अनुरोध पर पुरषों द्वारा तो प्रतिरोध समाप्त कर दोनो ओर से संयोग का आश्वासन दिया गया परंतु महिलाओं को शांत कर समझना पुलिस सहित किसी के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हुआ। महिलाएं किसी की कोई भी बात न सुनने और न ही मानने को तैयार दिखी। उनका साफ़ कहना था क्यो पुलिस द्वारा देर रात हम को बल पूर्वक धरना स्थल से बाहर निकाला गया, हम किसी से कोई वार्तालाप नही करना चाहते है हमारी सिर्फ एक मांग है हमको पुनः मोहम्मद अली पार्क में शांतिपूर्ण तरीक़े से धरना प्रदर्शन करने की अनुमति दी जाए,अगर हमारी बात नही मानी गई तो हम मुख्य मार्ग पर धरना प्रदर्शन करने को विवश हो फिर प्रशासन जो भी कार्यवाही करना चाहे हम जेल भरो आंदोलन को भी तैयार है।

बाजार बंद, सड़कें ब्लॉक

जैसे-जैसे प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे बाजार बंद होने लगा। दोपहर बाद अधिकतर दुकानें बंद हो गईं। सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की मौजूदगी की वजह से उन्हें ब्लॉक कर दिया गया। इससे आम लोगों को भी वहां से निकलना मुश्किल हो गया। 

दिखा पत्रकारों के प्रति आक्रोश

बीते दिनों हुए विरोध प्रदर्शनों में देश के चौथे स्तम्भ की भूमिका पर भी जनता का आक्रोश देखने को मिला। चमनगंज मोहम्मद अली पार्क पर मौजूद महिलाओं एवं पुरषों का साफ शब्दों में कहना था कि वह न तो कोई सक्ताक्षर चाहती है और न ही फ़ोटो खिंचवा कोई वाहवाही लूटना चाहती है, किसी भी मीडिया से जुड़े समूह से वार्तालाप करने से साफ इंकार की वजह जानने पर प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने दो टूक जवाब दिया कि उनको प्रशासन पर तो विश्वास है पर पत्रकारों पर नही जिस का मुख्य कारण बाबूपुरवा और परेड उपद्रव में कुछ पत्रकारों द्वारा अभ्रद भाषा का प्रयोग,  पारदर्शिता एवं निष्पक्ष न होने पर जनता के बीच अपना विश्वास समाप्त कर चुके है।

कुछ समय मांगा

सीएए के मसले पर विरोध प्रदर्शन शनिवार को खत्म हो गया था। इस संबंध में महिलाओं ने ज्ञापन भी सौंपा था। पर, अब कुछ लोगों की राजनीति का शिकार होकर प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए उनको हटाने के लिए रविवार को पुलिस बल की तैनाती की गई थी। प्रदर्शनकारियों ने कुछ समय मांगा है। - अनंत देव, डीआईजी

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