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नहीं काटनी पड़ेंगी बर्जर्स डिजीज के मरीजों की सिकुड़ी नसें ...

गैंगरीन का खतरा खत्म हो जाएगा

तंबाकू, पान मसाला, सिगरेट की लत की वजह से होने वाली बर्जर्स डीजीज से पीड़ित लोगों की सिकुड़ी नसें अब काटनी नहीं पड़ेंगी। नसों में सुई के माध्यम से दवा पहुंचाकर उनको खोल दिया जाएगा। इससे गैंगरीन का खतरा खत्म हो जाएगा।

नसों को खोलने के लिए केमिकल सिम्पैथेटिक्टमी तकनीक का इस्तेमाल कानपुर में मेडिकल कॉलेज में शुरू हो गया है। एनेस्थीसिया विभाग में मरीजों का नि:शुल्क इलाज हो रहा है। यह तकनीक पूरी तरह सफल है। आठ-दस साल से तंबाकू का सेवन कर रहे लोगों पर बर्जर्स डिजीज का खतरा मंडराने लगता है। दरअसल, निकोटीन के कारण नसें सिकुड़ने लगती हैं। गैंगलियान कोशिकाओं का जमाव होने लगता है। पैरों, हाथों की नसों में दर्द होने लगता है। गैंगरीन भी हो सकता है। जिससे अंग कटने की नौबत आ जाती है।

हार्ट और ब्रेन अटैक हो सकता है, इस तरह होता है इलाज

नसें सिकुड़ी होने की वजह से खून का थक्का जम सकता है, जिससे हार्ट या ब्रेन अटैक पड़ सकता है। केमिकल सिम्पैथेटिक्टमी तकनीक में सुई से दवा रोगी की नसों में डाल दी जाती है, जिससे गैंगरीन पैदा करने वाली कोशिकाएं गैंगलियान निष्क्रिय हो जाती हैं और नसों में रक्त का प्रवाह सामान्य हो जाता है। एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. अपूर्व अग्रवाल ने बताया कि अभी तक 14 रोगियों पर यह प्रयोग सफल रहा है। अल्ट्रसाउंड और एक्सरे कराया जाता है। इसके बाद ओटी में सुई से प्रभावित स्थान में दवा डाल दी जाती है। तकनीक का इस्तेमाल करने वाली टीम में डॉ. शुभ्रा और डॉ. हिना शामिल हैं।

निजी क्षेत्र में 50 हजार तक आता है खर्च

इस तकनीक से बर्जर्स डिजीज का इलाज दिल्ली और लखनऊ में होता है। निजी क्षेत्र में इस तकनीक से इलाज का खर्च 50 हजार तक आता है। सर्जरी कराने पर और अधिक पैसे खर्च होते हैं। 

ये हैं रोग के लक्षण

तंबाकू का लगातार सेवन करते रहने पर बर्जर्स डिजीज के लक्षण आने लगते हैं। हैलट की ओपीडी में पैरों की पिंडलियों और बाहों में दर्द के लक्षण वाले 60 से 70 मरीज रोज आते हैं। हैलट और निजी अस्पतालों में 15 मरीजों की सर्जरी प्रतिदिन होती है।

 कानपुर देहात के नाहीजुया ग्राम के रहने वाले भोला सिंह के पुत्र राजकुमार (43)  बीड़ी का सेवन 12 साल से कर रहे थे। बर्जर्स डिजीज के कारण पैर काला पड़ने लगा था। ठीक से चल तक नहीं पाते थे। डॉक्टरों का कहना था कि पैर काटना पड़ सकता है। 3 जनवरी को राजकुमार को इंजेक्शन से दवा दी गई। उन्होंने बताया कि दर्द में 80 फीसदी राहत मिल गई है। अब आराम से चल पा रहे हैं। 

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