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पिता और बहन को पुलिस ने हिरासत में लेकर नजरबंद किया ...

सीबीआई जांच भी शुरू नहीं

कानपुर-  थाना बर्रा इलाके में संजीत हत्याकांड के 65 दिन हो गए हैं। पुलिस आरोपियों को भी गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन अभी भी संजीत का शव पुलिस के हाथ नहीं लगा। दूसरी तरफ संजीत के परिजन लगातार पुलिस की जांच पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए क्षेत्रीय लोगों के साथ संजीत के पिता, माता, बहन पैदल ही लखनऊ के लिए निकल पड़े थे। पुलिस ने रास्ते में इन्हें रोक समझा-बुझाकर घर वापस कर दिया था। मंगलवार सुबह एक बार फिर संजीत के परिजन का सब्र का बांध टूट गया और संजीत के परिजन बर्रा के शास्त्री चौक पर धरने पर बैठने के लिए घर से निकल पड़े। इसकी जानकारी होते ही पुलिस ने सभी लोगों को हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया।

कानपुर के बर्रा में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की हत्या के बाद से ही परिजन लगातार पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं। इसको लेकर आज सुबह संजीत के पिता चमन और बहन रुचि घर से अनिश्चितकालीन धरने के लिए निकल पड़े, लेकिन इसकी जानकारी होते ही भारी पुलिस फोर्स ने बीच रास्ते में ही परिवार को रोक लिया।

पुलिस के काफी समझाने के बाद भी जब परिजन नहीं माने तो पुलिस ने पिता चमन और बहन रुचि को जबरदस्ती गाड़ियों में बैठा लिया और हिरासत में लेकर नजरबंद कर दिया। इस बीच संजीत की बहन आसपास से गुजर रहे लोगों से मदद की गुहार लगाती रही उसने कहा कि कोई तो मदद करो मदद करो भैया यह लोग मार डालेंगे।

स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने और दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस चलाने की मांग

संजीत यादव अपहरण और हत्याकांड में सरकार से अपनी मांगों को लेकर आज एक बार फिर से बर्रा- शास्त्री चौक पर पीड़ित परिवार अनिश्चितकाल भूख-हड़ताल पर धरने पर बैठने जा रहा थे। इस दौरान पिता चमन का कहना था कि जब तक उनकी मांगे सरकार मान नहीं लेती तब तक वो धरने पर रहेंगे और उन्होंने कहा उनकी तीन प्रमुख मांगे हैं और वह सरकार को पूरी करनी चाहिए। पहली मांग यह है कि घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए। दूसरी यह कि दोषी पुलिस वालों पर हत्या का केस दर्ज कर उनको जेल भेजा जाए और तीसरी यह की पीड़ित परिवार की बेटी को उसकी योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दी जाए।

यह है मामला

लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का 22 जून को अपहरण हुआ था। 29 जून को उसके परिवारवालों के पास फिरौती के लिए फोन आया। 30 लाख रुपए फिरौती मांगी गई थी। परिवारवालों ने पुलिस की मौजूदगी में 30 लाख की फिरौती दी थी। लेकिन न तो पुलिस अपहरणकर्ताओं को पकड़ पाई, न संजीत यादव को बरामद कर सकी। 21 जुलाई को जब पुलिस ने सर्विलांस की मदद से संजीत के दो दोस्तों को पकड़ा तो पता चला कि उन लोगों ने संजीत की 26 जून को हत्या कर दी। शव को पांडु नदी में फेंक दिया।

इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस मामले में एक आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था। पुलिस ने पांडु नदी में कई बार लगातार स्च अभियान चलाया, लेकिन संजीत का शव नहीं मिला। बाद में सरकार ने इस मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था लेकिन जांच अभी शुरू नहीं हो सकी है जिसको लेकर परिजनों में आक्रोश है।

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