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भारी मात्रा में टैबलेट, कैप्सूल व इंजेक्शन बरामद ...

चार गिरफ्तार

कानपुर और आस-पास के जिलों में लंबे समय से चल रहे नशीली दवा की बिक्री का खुलासा पुलिस ने किया है। नौबस्ता पुलिस ने शहर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में छापा मारकर चार तस्करों को गिरफ्तार कर लिया जबकि सरगना समेत दो लोग फरार हो गए।

पकड़े गए तस्करों में दो मेडिकल स्टोर संचालक और दो एजेंट हैं। आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। एसपी साउथ दीपक भूकर ने प्रेसवार्ता कर बताया कि सीओ गोविंदनगर विकास कुमार पांडेय ने नौबस्ता थाना पुलिस और औषधि निरीक्षक संग मौरंग मंडी व गोशाला चौराहा स्थित मेडिकल स्टोर पर छापा मारकर बालाजी अपार्टमेंट, के ब्लाक किदवईनगर निवासी मेडिकल स्टोर संचालक हिमांशु सिंह व जूही बारादेवी निवासी कमल किशोर को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने उनके पास से भारी मात्रा में नशीली दवाइयां और इंजेक्शन के पैकेट व किट बरामद की। आरोपियों ने बताया कि वह नशीली दवाइयां और इंजेक्शन बिरहाना रोड की एक फर्म में काम करने वाले एजेंट खाड़ेपुर नौबस्ता निवासी शैलेश पांडेय व दोस्तीनगर, कोतवाली (उन्नाव) निवासी गिरीश कुमार से लेते हैं।

इसके बाद पुलिस ने दो एजेंटों को बिरहाना रोड से दबोच लिया। पुलिस ने एजेंटों की निशानदेही पर बिरहाना रोड निवासी सरगना गुड्डू व सुनील के गोदाम पर छापा मारा और भारी मात्रा में नशीली दवाईयां, इंजेक्शन बरामद किया। सरगना फरार हो गए।

एसपी साउथ ने बताया कि सरगना की तलाश में दबिश दी जा रही है। उनका दावा है कि बरामद दवाएं और इंजेक्शन ज्यादातर नशामुक्ति, दर्दनिवारक, एंटी एलर्जिक में इस्तेमाल किए जाते थे, लेकिन नशे के कारोबारी इसे नशे के प्रयोग में लाते थे।

नशेड़ियों को किट तैयार कर देते

एजेंट मेडिकल स्टोर संचालकों को ये प्रतिबंधित दवाएं 2400 रुपये में देते थे। जो मेडिकल स्टोर संचालक चार हजार रुपये में बेचते थे। मेडिकल स्टोर संचालक नशे के लती लोगों को बाकायदा इन दवाओं की एक किट भी तैयार कर के देते थे। जिसमें टेबलेट, कैप्सूल के अलावा एक इंजेक्शन और डिस्पोजल भी रहता था।

यह किट 150 रुपये से लेकर 200 रुपये में बेचते थे। पकड़े गए एजेंटों ने बताया कि दबौली स्थित एक मेडिकल स्टोर को भी सप्लाई की बातचीत हो गई थी, लेकिन इससे पहले ही वह पकड़ लिए गए। शहर के अलावा उन्नाव में भी प्रतिबंधित दवाइयों की सप्लाई करते थे। जिसकी जिम्मेदारी गिरीश की होती थी। एजेंटों का कहना था कि सरगना हमेशा अनजान नंबर से कॉल करता था।

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