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यूपी में डेंगू का कहर: 'टाइगर' के डंक से दस और मौतें ...

अब तक 88 की गई जान

कानपुर ■ पारा लुढ़कने के बाद भी डेंगू के मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा। 24 घंटे में (मंगलवार शाम से बुधवार रात तक) 10 और मरीजों की मौत हो गई। डेंगू का हैम्रेजिक फीवर सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कई अन्य मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। बुधवार को कानपुर के हैलट ओपीडी में ही 100 से ज्यादा डेंगू के मरीज पहुंचे। डेंगू के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या और भी ज्यादा रही। अब तक 88 मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग मामला दबाने में जुटा है।
राजापुरवा निवासी सुमित (15) को 11 नवंबर को बाल रोग चिकित्सालय में डॉ. एके आर्या की यूनिट में भर्ती कराया गया था। उसके प्लेटलेट्स 26000 रह गए थे। प्लेटलेट्स चढ़ने पर दूसरे दिन हालत में सुधार होने पर डॉक्टरों ने अस्पताल से छुट्टी कर दी। 12 को फिर उसकी हालत बिगड़ी और खूनी की उल्टियां होने लगीं। पिता विजय वर्मा बेटे को हैलट इमरजेंसी ले गए।
बेड न मिलने पर मरियमपुर, वहां से कानपुर मेडिकल सेंटर गए। अंत में रीजेंसी में भर्ती कराया, यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सुमित इकलौता बेटा था। इसी तरह गड़रिया मोहाल निवासी सुशील शर्मा की पत्नी इंदु शर्मा (50) को कई दिन से बुखार था। डेंगू की पुष्टि होने पर 12 नवंबर को हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराया, यहां उनकी मौत हो गई।
नवाबगंज निवासी बाबूलाल के बेटे नंदलाल राठौर (50) को 13 नवंबर को हैलट में भर्ती कराया गया था। उसकी भी मौत हो गई। इसी तरह केशवपुरम निवासी लक्ष्मी नारायण सविता (54), रूरा (कानपुर देहात) निवासी शौकीन (70), डेरापुर (कानपुर देहात) निवासी रामचंद्र के बेटे चंद्रभान (24), मंगलपुर (कानपुर देहात) निवासी भगवान दास के बेटे विजय (26) और ग्राम गहरौली, मुस्करा (हमीरपुर) निवासी जगदीश (55) की भी डेंगू से हैलट में मौत हो गई। भीतरगांव के गांव क्योंटरा (बिरहर) निवासी राजा विश्वकर्मा की बेटी पारुल (17) की भी हैलट में मंगलवार देर रात मौत हो गई। बिल्हौर के मकनपुर कस्बा निवासी चंदावती (60) की भी डेंगू से मौत हो गई। इनका इलाज मंधना स्थित रामा अस्पताल में चल रहा था।

डेंगू हैम्रेजिक फीवर जानलेवा होता जा रहा है। इसी बुखार की वजह से राजापुरवा निवासी सुमित की मौत हुई। उसे बुखार के साथ ही खून की उल्टियां होने लगी थीं। डॉ. हेमंत मोहन ने बताया कि ऐसे मरीजों को बुखार के साथ ही, मुंह, नाक या लैट्रीन के रास्ते खून आने लगता है। होम्योपैथी में इसका इलाज है, बशर्ते मरीज समय से दवाएं शुरू कर दे।

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