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दिव्यांग ने लगाई मदद की गुहार तो प्रियंका गांधी ने यह किया.. ...

 प्रियंका गांधी ने की इच्छामृत्यु की गुहार लगा चुकें दिव्यांग की मदद

उन्नाव में बीमारी के इलाज में सब कुछ गवां चुका असोहा का बैगांव निवासी सोनू शुक्ला जब गरीबी से परेशान हो गया तो कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से उनके पीआरओ के माध्यम से मदद की गुहार लगाई। जानकारी होने पर प्रियंका गांधी ने उन्नाव के एक पार्टी कार्यकर्ता के माध्यम से एक माह का राशन उसके घर भिजवाया।असोहा क्षेत्र के गांव बैगांव निवासी सोनू शुक्ला के पिता शिवाकांत की मौत हो चुकी है। परिवार में पत्नी सुनीता व तीन बच्चे अर्चित (9)आर्यन (6) तथा निष्छल (3) हैं। सोनू भूमिहीन है। उसे गंभीर बीमारी है। पूर्व में इसी बीमारी के कारण उसका एक दाहिना पैर काटना पड़ा था। सोनू के अनुसार डॉक्टरों ने अब बायां पैर भी काटने की बात कही है।

एक बीमारी में सब कुछ गवां चुका बैगांव का दिव्यांग सोनू दाने-दाने को हुआ मोहताज

आर्थिक किल्लत होने से वह दवा की व्यवस्था नहीं कर पा रहा। आमदनी का कोई जरिया न होने से वह परिवार में मां, पत्नी व तीन बच्चों का भरणपोषण करने में मुश्किलें आने लगीं। सोनू ने बताया कि कई साल पहले उसकी महाराष्ट्र शिरडी में साईं मंदिर के पास दुकानें थी। बीमारी में वह भी बिक गईं। उस समय महाराष्ट्र के कुछ कांग्रेसियों से मित्रता हुई थी।उन्होंने ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पीआरओ राजकुमार का फोन नंबर दिया था। इधर, जब स्थितियां बिगड़ी तो एक दिन पीआरओ को फोन करके पूरी बात बताई। पीआरओ ने प्रियंका गांधी को जानकारी दी तो उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू को उनकी सहायता कराने को कहा।

परिवार का पेट पालना मुश्किल हुआ तो प्रियंका के पीआरओ को फोन पर बताई दास्तां

उन्नाव के सरोसी निवासी मोहित पांडेय एक माह का राशन सरसों का तेल, आटा, दाल, चावल, चीनी, चाय, आलू, प्याज और सब्जी मसाला पैकेट लेकर सोनू के घर पहुंचे। बताया कि प्रियंका गांधी ने भिजवाया है। दवाएं मंगवाई गई हैं। आते ही उन्हें दे दी जाएगी। कांग्रेस के नेता दिलप्रीत सिंह ने बताया कि पार्टी के विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू के निर्देश पर राशन भिजवाया गया है। 

शौचालय के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

सोनू ने एक शौचालय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। 12 हजार पाने के लिए इससे ज्यादा खर्च हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी उसने लड़ाई जारी रखी। अमर उजाला ने उसकी लड़ाई खबरोें के माध्यम से लड़ी। जिस पर जिला प्रशासन ने छह माह बाद उसे शौचालय का पैसा दिया था। 

इच्छामृत्यु की गुहार लगा चुका है सोनू

दिव्यांग हो चुका सोनू बेरोजगार है। उसके पास न नौकरी है और न ही कोई रोजगार। घर में कोई कमाने वाला नहीं है। अब उसके पास बेचने के लिए कुछ नहीं बचा है। इन्हीं दिक्कतों के कारण सोनू ने अक्तूबर 2017 में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु मांगी थी।

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