वर्ष 2014 के बाद से शुरू हुआ करोडों का घोटाला ...
सचिव और अध्यक्ष विवाद
।कानपुर :- आज कल सोशल मीडिया के प्लेटफार्म में चर्चित शहर की सांस्कृतिक गृह निर्माण सहकारी समिति में हुए करोडों का घोटाला चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन यह घोटाला हुआ कैसे इस तथ्य को समझना जरूरी है सूत्रों की माने तो बिनगवां श्रेत्र में स्थित यह समिति का गठन 1967 के करीब हुआ था और लगभग 20 बीघा से भी ज्यादा जमीन राजस्व अभिलेखों में दर्ज है जिसमें समिति अपने सदस्यों को बड़े - बड़े प्लाट आवंटित किए थे लेकिन समिति के मूल आवंटियों को उनकी जगह पर कब्ज़ा नही मिल पाया जब की उनकी जगह पर भूमाफियाओं ने अपने पैर पसार लिए । इस समिति से सम्बन्ध रखने वाले एक जानकार और अधिवक्ता की माने तो सांस्कृतिक गृह निर्माण सहकारी का विवाद काफी वर्षो तक कानपुर विकास प्राधिकरण से चला था उस समय समिति का सचिव भगवान दास दीक्षित और अध्यक्ष नानक चंद्र भाटिया थे लेकिन इन दोनों पदाधिकारियों ने समिति में पैरवी करना उचित नही समझा जिसका बाद समिति के एक सदस्य द्वारा माननीय उच्च न्यायालय तक समिति का पक्ष रखते हुए जमीन को कानपुर विकास प्राधिकरण से वर्ष 2010 में मुक्त कराया था जिसका बाद निष्क्रिय सचिव भगवान दास दीक्षित कुछ दलालों के साथ सक्रिय हो गया और समिति के मूल सदस्यों की अनुपस्थित में वर्ष 2014 में विभागीय कर्मियो की मिलीभगत से चुनाव करवा लिया ।
वर्ष 2014 के बाद से शुरू हुआ करोडों का घोटाला
लगभग बीस वर्षों के बाद हुए चुनाव की भनक किसी को नही लगी और समिति के मूल सदस्यों को हक़ समिति सचिव भगवान दास दीक्षित और नव निर्वाचित अध्यक्ष राकेश पांडेय हड़प रहे थे लेकिन इस बीच रुपयों के लेनदेन में मामला सही बैठ पाने की वजह से दोंनो में विवाद शुरू हो गया और समिति दो फाड़ में बट गयी जिसका फायदा एक उसही श्रेत्र के एक भूमाफिया ने जमकर उठाया उसमें समिति सचिव को अपने पक्ष में कर अपने घर वालों तथा अपने गांव वालों के नाम प्लाट आवंटित करवा कर दर्ज़नो प्लाटों का मालिक बन बैठा और समिति अध्यक्ष राकेश पांडेय को जब समिति सचिव और भूमाफिया ने किनारे कर दिया तो अध्यक्ष राकेश पांडेय पुराने सदस्यों के घरों में जा कर अपनी जमीन और सदस्यों के हक़ में लड़ने के आवाहन तो किया जो की एक दिखावा है क्यों की मौजूदा स्थित में समिति के मूल आवंटियों को उनकी जगह उपलब्ध नही करायी गयी और समिति की भूमि पर आज भी खूब अवैध कब्ज़े करा कर विक्रय करने का खेल चल रहा है।
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