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क्योंकि क़लमकार से पहले पुत्र भाई पति और पिता भी हूं मैं..... ...

 

नाबालिग को बनाया सामूहिक दुष्कर्म शिकार,

अब तो कलम थम सा गया है,स्याही भी सुर्ख़ हो गई,क्या और कितना लिखें,शब्द भी निःशब्द हो गए है,देश क्या प्रदेश क्या प्रतिदिन नित्य कोई न कोई नई शर्मसार करने वाली ह्रदय विदारक आधी आबादी के साथ हो रहे अपराध की घटना मन मस्तिष्क को शून्य कर देती है,पत्रकार से पहले मैं एक बेटा पति बाप भाई हूँ,बलात्कर की घटनाओं में होती वृद्धि का कारण क्या है क्यो हम आप में से ही कोई साधारण व्यक्ति अपना विवेक मर्यादाओं की सीमा लांघ ऐसे जघन्य अक्षम्य अपराध बलात्कार कर बैठता है,आखिर क्यों ? दूसरों से प्रश्न क्या करूँ स्वयं इस कृत्य के केंद्र बिंदू तक नही पहुँच पा रहा हूँ, ऐसा क्या है जो मानव योनिः में जन्म लेकर भी राक्षसों जैसा कृत्य,क्यो भूल जाता है कोई बलात्कारी जिस शरीर का भोग वह बल छल द्वारा कर रहा है वह भी उसही नारी के प्रतिरूप सामान है जिसकी कोख़ की उपज वह स्वयं है,क्या हमारी मानसिकता का स्तर इतने निम स्तर तक पहुँच गया है कि क्या वृद्ध क्या अबोध बालिका सब बलात्कारियों की हवस का शिकार हो रही है,कोई सुरक्षित नही क्या प्राप्त होता है ऐसे क्षणिक उन्मांद से जिसमें बलात्कारी इतने अंधे हो जाते है कि किसी भी उम्र की नारी हो उनको तो सिर्फ शरीर नोंचना है।

पत्रकार से पहले मैं एक बेटा पति बाप भाई हूँ,

बलात्कार की घटनाएं पूर्व में भी होती आई है,कुछ उजागर हो जाती थी तो कहीं मान मर्यादाओं बदनामी का भय इन विभ्यंस घटनाओं को समय के पहर में लुप्त कर देता था जो की आज भी प्रचलन में है,समाज और बदनामी का डर दिखा समाज के ठेकेदारों द्वारा पीड़िता और उसके परिवार का मुंह साम दाम दंड भेद की नीति अनुसार बंद करा दिया जाता है,जिसके अनगिनत उदहारण आप के सामने विभन्न घटनाओ पर नज़र डालें तो पढ़ने और सुनने को मिल जायेंगे,परंतु वर्तमान समय में जिस प्रकार किसी भी छोटी बड़ी घटना की सूचना प्राप्त करने के संसाधनों और जन जागरूकता के माध्यमों में वृद्धि हुई है बलात्कर की घटनाओं की तो मानो बाढ़ सी आ गई है,ऐसे घिनौने अक्षम्य अपराध को करने वाले राक्षसों को न तो कानून का भय है न ही समाज का और हो भी क्यो दोनों ही कही न कही मात्र अफ़सोस की खानापूर्ति कर कुछ समय पश्चात आया राम गया राम में व्यस्त हो जाते है,


ताली दोनों हाथ से बजती है, दोषी सब

सिर्फ सरकार और प्रशासन को दोषी ठहरा हम अपनी नपुंसकता को नही छुपा सकते,कढ़वी है पर १०० % खरी बात है,ऐसा नही है कि सरकार और उसके आधीन प्रशासनिक महकमों की कोई ज़िम्मेदारी नही बनती है,पूर्णता बनती है बलात्कार जैसे अपराध पर कठोर कानून की आवश्यकता समय की मांग है,पर न जाने क्यों किसी भी सरकार द्वारा तुरंत दान महा कल्याण अर्थात: फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट सुनवाई एवं सज़ा का प्रावधान नही किया गया(वर्तमान सरकार द्वारा इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है)जिसके कारण तारीख़ पर तारीख़ चला करती है और तब तक शारीरिक उत्पीड़न के बाद पीड़िता का मानसिक शोषण चालू हो जाता है,कभी सच की जीत या फिर असत्य तो अब अपराजित हैं ही क्योकि अब तो सिर्फ पैसा बोलता है।

प्रशासन का रवैया ढुलमुल

ऐसी घटनाओं पर आप नज़र दौड़ाएंगे तो आप को अधिकतर में पीड़िता की पीड़ा को बढ़ाने में प्रशासन भी कही पीछे नही (कोढ़ पर खाज) कभी रिपोर्ट दर्ज नही करना तो कभी समझौते का दबाव भी प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।

हम और आप (समाज)

किसी भी बलात्कर की घटना की सूचना एवं जानकारी पर मानव होने के नाते हम सब शोक व्यक्त करते है बिना किसी भेदभाव के,विभिन्न माध्यमों द्वारा कुछ दिन खूब हो हल्ला भी मचाते है,फिर अपने अपने कामों में दिनचर्या अनुसार व्यस्त,कोई फ़ायदा, बलात्कार बंद हो जाते है,अपराधियों को उचित सज़ा मिल जाती है,उत्तर नही होगा हममें से किसी के पास भी,हो हल्ला कैंडल मार्च यातायात बाधित करना तोड़फोड़ आदि कभी भी १% मात्र भी कमी या रोक नही लगा पाएंगे ऐसे जघन्य अपराधों पर जो सिर्फ शरीर ही नही एक स्त्री की आत्मा को भी घायल कर तिल तिल मारने को पीड़ित होने के पश्चात भी स्वयं को अपराधबोध जीवनयापन पर विवश कर देती है,जिसके चलते अधिक्तर पीड़िता द्वारा स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली जाती है।


 शायद एक उपचार

कुछ एक घटनाओं को छोड़ बलात्कारी लचर व्यवस्ता के कारण सदैव देर सवेर बच निकलते है एक और नए शिकार की तलाश में, एक ज़िम्मेदार नागरिक के कर्तव्य की पूर्ति करते हुए कानून का उलंघन किसी भी स्वरूप में मेरे द्वारा उचित नही है,परंतु एक पुत्र भाई पति पिता होने के नाते कुछ भी कर गुज़रने से भी कभी न पीछे नही हूं,पर जो कार्य हम सब मिलकर कर सकते है इस जघन्य अपराध करने वाले अपराधियों के विरुद्ध वह है सामाजिक बहिष्कार न सिर्फ अपराधी के बल्कि उसके सम्पूर्ण परिवार का आप अचंभित हो गए गलती एक कि सज़ा सब को यह कैसे उचित है,नही है पर क्या कभी किसी बलात्कार की घटना के केस का अध्ययन किसी भी रूप में आप द्वारा किया गया है,बलात्कारी एक हो या समूह में कानून के शिकंजे में फसने के पश्चात कैसे कुछ समय पश्चात  बाहर आ जाते है कौन करता है इनकी आर्थिक सहायता कोर्ट ख़र्च वकील का वहन आदि इनका परिवार संबंधी,क्या वह उचित कर रहे होते है सब कुछ जानते समझते क्या यह अपराध को बढ़ावा देना नही है,बिल्कुल है और मै इसके विरुद्ध हूं, जब तक   बलात्कर की घटना के विरुद्ध एकजुट होकर हम एक स्वर में बलात्कारी का सामाजिक बहिष्कार नही करेंगे सुधार और ठहराव की स्तिथि शायद नही बनें।

घटना

औरैया में पुलिस ने चार के खिलाफ दर्ज की रिपोर्ट,नाबालिग को बनाया सामूहिक दुष्कर्म शिकार,

औरैया सदर कोतवाली क्षेत्र के एक ग्राम में शौच को गई किशोरी से बुधवार की रात चार युवकाें ने सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता के पिता की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने दो नामजद व दो अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। इस मामले में कुछ लोगों को पूछताछ के लिए कोतवाली में बैठा लिया गया है। 

14 वर्षीय किशोरी के पिता ने कोतवाली में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि 31 जुलाई की रात लगभग नौ बजे उसकी पुत्री शौच के लिए मैदान गई हुई थी। वहां आरिफ पुत्र सुलेमान व बंटी पुत्र वीरेंद्र के अलावा दो अज्ञात युवकों ने अंधेरा पाकर उसकी पुत्री को मैदान में पकड़ लिया और उससे सामूहिक दुष्कर्म किया।पिता ने बताया कि जब उसकी पुत्री के चिल्लाने की आवाज आई तो उसकी मां दौड़कर मैदान की तरफ गई। जहां उसकी पुत्री मैदान के पास बनी पानी की टंकी के पास अस्त-व्यस्त अवस्था में मिली। पुलिस ने पिता की तहरीर पर दो नामजद व दो अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।कोतवाली के एसएसआई शशांक राजपूत ने बताया कि मामले की रिपोर्ट सामूहिक दुष्कर्म की धारा में दर्ज कर ली गई है। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है। पीड़िता का डॉक्टरी परीक्षण कराया जा रहा है। कुछ लोगों को कोतवाली में पूछताछ के लिए लाया गया है। अभी आरोपी नहीं पकड़े जा सके हैं। 

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