11 साल से चल रहा था डामर का काला कारोबार ...
मिलावटी डामर तैयार किया जा रहा
उन्नाव। बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र में डामर के जिस काले कारोबार का खुलासा हुआ है वह पिछले 11 साल से चल रहा था। जांच टीम को शक है कि इसमें पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी और बड़े ठेकेदारों के भी शामिल होने का भी शक है।
अबतक हुई जांच में पता चला है कि भठियापुर स्थित जिस प्लाट में अवैध कारोबार हो रहा था वह किसी सुखवीर और मऊ रेलवे क्रासिंग के पास स्थित प्लाट किसी जोनू नाम के व्यक्ति का है। बांगरमऊ कोतवाली पुलिस उन दोनों की भी तलाश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक यह अवैध कारोबार यहां पिछले 11 साल से चल रहा है। पांच साल पहले पुलिस ने यहां छापा मारकर दस टैंकर पकड़े थे। कुछ दिन बंद रहने के बाद अवैध कारोबार फिर शुरू हो गया। हसनगंज क्षेत्र में भी कुछ स्थानों पर टैंकरों से डामर चोरी का खेल चल रहा है।
जानकार बताते हैं कि मिलावटी डामर से बनने वाली सड़कें समय से पहले टूट जाती हैं। डामर में डस्ट पाउडर, केमिकल या मोबिल आयल की मिलावट होने पर डामर की गुणवत्ता खत्म हो जाती है। पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता कृष्णकांत ने बताया कि मिलावटी डामर की गिट्टी में पकड़ कमजोर हो जाती है। सड़क बनते ही उसमें दरारे आ जाती हैं और पानी जाने से सड़क टूट जाती हैं। गिट्टी उखड़ती है और सड़क उखड़ जाती है।
डीएसओ रामेश्वर प्रसाद ने बताया कि जांच में प्लांट संचालन का कोई कागज या लाइसेंस नहीं मिला। बताया कि अभी तक की जांच में पता चला है कि असली डामर में पाउडर व अन्य केमिकल मिलाकर मिलावटी डामर तैयार किया जा रहा था। डीएसओ ने बताया कि मथुरा रिफाइनरी से टैंकर किस फर्म को भेजे गए हैं। उनका रूट क्या तय था। इसकी जांच की जा रही है। पूर्ति निरीक्षक गौरव कुमार को पूरी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
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