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उदय देसाई के सहयोगियों का चिट्ठा खंगाल रही सीबीआई ...

अफसरों, बाबुओं की बनाई सूची

कानपुर के हीरा कारोबारी उदय देसाई ने 14 बैंकों से लिए कर्ज का निवेश अपनी कंपनियों को चलाने के अलावा उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अलग अलग प्रोजेक्टों में भी किया है। इन प्रोजेक्टों का संचालन देसाई के सहयोगी और साझेदार अलग अलग नामों से कर रहे हैं, लेकिन इनमें कहीं भी उदय देसाई का नाम दर्ज नहीं है।

सीबीआई की जांच में इस बिंदु को भी शामिल किया है। अब सीबीआई की टीमें उन प्रोजेक्टों की तलाश के लिए सहयोगियों और साझेदारों का चिट्ठा खंगाल रही हैं। जांच एजेंसी का सबसे बड़ा सवाल ये है कि 3435 करोड़ रुपये की रकम आखिर डूबी कैसे। बताया जा रहा है कि कई राज्यों में करीब एक दर्जन प्रोजेक्टों में इनका कई सौ करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।

कानपुर और कानपुर के बाहर अन्य राज्यों में भी देसाई के कारोबार के कई साझेदार हैं। शहर के कई कारोबारी घोषित तौर पर तो कुछ अघोषित तौर पर देसाई के साथी हैं। देसाई के घर और ऑफिसों से मिले दस्तावेजों के आधार पर ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है। शहर के दर्जन भर से अधिक बड़े लोग सीबीआई की नजर में हैं।

जल्द ही इन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। बैंकों के सूत्र बताते हैं कि जांच एजेंसी को पुख्ता सबूत मिले तो लोन की रकम खपाने वाले प्रोजेक्टों को अटैच भी किया जा सकता है। गिरफ्तारी भी संभव है। लोन देने वाले 14 सरकारी बैंकों के समूह (कंसोर्टियम) के अफसरों और बाबुओं की सूची बनाई जा रही है। उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए अलग अलग समय पर बुलाया जा सकता है। सबूत जुटाने के लिए सीबीआई की दो टीमें मूवमेंट पर हैं।

ये टीमें कानपुर और उन सभी स्थानों से दस्तावेज जुटा रही हैं जो देसाई के बैंक फ्रॉड मामले से जुड़े हो सकते हैं। लोन देने वाले समूह में बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स है। बैंक ऑफ इंडिया समूह का मुखिया (कंसोर्टियम लीडर) है।

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