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जीतन बाद नेता जी गुर्राए बोलिन कैसे करे, काहे करे,क्यो करें ...

सरकार की मनमानी में करोड़ो गए पानी में 

नालो की सफाई, नमामि गंगे प्रोजेक्ट , गंगा के घाटों की सफाई, कचरे के हरे पीले लाल कूड़ेदान, स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता के नेता जी के विशालकाय होर्डिंग्स, स्वच्छ भारत अभियान पर साफ सड़क पार्को की सफ़ाई को व्यक्ति विशेष समूह का झाड़ू प्रेम, गरीब जनता को कभी स्वच्छता तो कभी सुंदरीकरण तो कभी अतिक्रमण के नाम पर बलि का बकरा बनाना, मात्र आडंबर, वर्तमान समय में कानपुर नगर का कोई भी क्षेत्र ऐसा नही जहाँ आप स्वच्छ्ता की देवी के दर्शन कर धन्य हो, गौरान्वित हो कह सके मेरा शहर कानपुर स्वच्छ है, पर नए पुराने सब आदरणीय की महिमामंडल का दंश झेल रहा कानपुर और उसके वासी, नेता जी कोई भी हो चाहे हाथ भर के सवा हाथ के सब एक समान सत्ता धारी नेहरू को रोए, विपक्ष करे विधवा विलाप, जनता क्या करें ?

बात मुद्दें की :

हम बात कर रहें है उस शर्मसार तमगे की जो कानपुर कों मिला है पूरे विश्व में गंदगी के मामले में नम्बर वन कानपुर महानगर और क्यों न हो जब बाबूपुरवा ट्रांसपोर्ट नगर से यशोदा नगर बाईपास तक सड़क किनारे चारो तरफ भयानक तरह की गंदगी व्याप्त होगी, चाहें वार्ड संख्या 106 सुतरखाना के पार्सल कार्यालय के बाहर कूड़ाघऱ का कूड़ा पूरी सड़क कों अपने आप में समेटे है, जिसमें पैदा होती सड़ांध, वर्षा का पानी कचरे को कीचड़  में तब्दील कर आवागमन को दूभर करता है , अंतर्राज्यीय  झकरकटी बस स्टैंड में गड्ढो की भरमार और जल भराव होगा, गंगा पुल पर देवी देवताओं की बिखरी मूर्तियां व प्लास्टिक के बैग में भरे फूलों के पैकेट कचरा पैदा करेंगे,बारिश के कारण गड्ढों पर सड़क जिसका मुख्य कारण प्रियवर प्रेम अर्थात मानकों की अनदेखी कर टेंडर बाटना जिसके चलते चलताऊ सड़क निर्माण,गंदगी और भरे रुके पानी में बीमारियों का बसेरा, कानपुर के अधिकतर वार्डों में डेंगू मच्छरों की भरमार होना, कानपुर के एक कोने से लेकर दूसरे छोर तक एक ही कहानी कही नास तो कही सवा सत्या नास, उस शहर कों गंदगी का नम्बर एक पायदान का खिताब मिलना जायज़ है।

राजनितिक द्वंद की भेंट चढ़ता स्वच्छ्ता का पैमानां :

कानपुर महानगर राजनितिक सामरिक व्यापारिक रूप से देश मे विशेष स्थान रखता है,जिस के चलते नेताओं का आवागमन निरंतर कानपुर की धरती को अपने करकमलों से धन्य करते रहते है, विभिन्न अवसरों पर राजनेता कानपुर पधारे और कानपुर कों स्मार्ट सिटी बनाने का लॉलीपॉप रूपी वादा करके निकल लियें। बात वर्तमान की नही बरसों से यही बोल वचन चल रहे है, जो की पिछली सरकारों से चलता चला आ रहा है हर बार चुनाव में वादों के गुब्बारे फुलाये जाते है और चुनाव जीतने के बाद उन्हीं गुब्बारों कों फोड़ कर पटाखों की अनुभूती कर जश्न मनाया जाता है बेचारी जनता अपने कों ठगा सा महसूस कर ऎसे नेताओं कों अगले चुनाव में सबक सिखाने का सपना लियें, किसी न किसी प्रकार मुद्दों से भटक कर फिर शांत हो जाती है, क्योकि हर बात की ज़िम्मेदारी तो जनता की है, बेचारी जनता कर भी क्या सकती है, जीना मरना उस को है नेता जी एवं संबंधित अधिकारियों को नही, जनता चाह कर कुछ नही कर सकती और जो सब कुछ कर सकते है वो कुछ करना नही चाहते सिर्फ गरीब जनता को किसी न किसी प्रकार प्रताड़ित कर वो तो सिर्फ अपनी अपनी झोलिया भरने में व्यस्त है।

मंथन :

इन सब के परे सब कुछ झेलने के पश्चात भी 80% जनता सभी संबंधित गणमान्य का हर संभव संयोग अपने विवेक अथवा ज्ञान अनुसार करने की चेस्टा कर अपने घर कानपुर नगर को स्वच्छ बनाने के लिए संकल्पित है परंतु संबंधित विभाग और नेता जी से जनता पूछे एक ही सवाल कब करोगे सरकार!

 

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