शिवरात्रि, होली सहित सभी त्योहारों पर कोरोना से मिलेगी मुक्त ...
त्योहारों पर तीसरे साल रहेगा कोरोना बेअसर
कानपुर-:देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन के केस बढ़ते जा रहे है। आईआईटी के जानकर प्रो मणींद्र अग्रवाल के ताजा अनुमानों की मानें तो जिस तरह से संक्रमण फैला रहा है उसे देखते हुए फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में इससे पूरे देश को राहत मिल जाएगी। प्रो मणींद्र अग्रवाल ने बताया, मेरे आकलन के हिसाब से उत्तर प्रदेश में कोरोना में तीसरी लहर एक दिन बाद 19 जनवरी को ही चरम पर होगी। इसके साथ ही देश में 23 जनवरी को यह लहर चरम पर रहने की संभावना है, एक से दो हफ्तों में ही संक्रमण की रफ्तार तेजी से घटना भी शुरू हो जाएगी और फरवरी के तीसरे हफ्ते तक पूरे देश में यह लहर न मात्र की रह जाएगी। एक तरह से कहा जाये तो यह एक आम फ्लू की तरह रह जाएगा, जिसके जिसकी वजह से लोग इस बार शिवरात्रि, होली और अन्य त्योहार मना सकेंगे।
दो सालों से देश के सभी त्योहारों पर कोरोना के काले बादल
पिछले दो सालों से देश के हर त्योहारों पर कोरोना के काले बादल मंडरा रहे है। साल 2020 में 10 मार्च को मनाएं गए होली के त्योहार के बाद देश में कोरोना की पहली लहर का संक्रमण बहुत तेजी से फैला था। जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। लेकिन इस बार रंगों का त्योहार होली देश के लोग आराम से मना सकेंगे। ऐसा आईआईटी कानपुर के जानकर प्रो मणींद्र अग्रवाल का गणितीय सूत्र माडल बता रहा है। प्रो अग्रवाल ने बताया, मॉडल के आधार पर कोरोना संक्रमण के मामलों का आंकलन करके अनुमानित भविष्यवाणी से पता चला है कि फरवरी तक पूरे देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का संक्रमण न के बराबर रह जाएगा। केस बहुत तेजी से कम होना जनवरी के आखिरी हफ्ते से शुरू हो जाएगा। जिससे देश में सावधानी बरते हुए त्योहारों को मनाया जा सकेगा।
लेकिन सावधानी है जरूरी
प्रो.अग्रवाल के गणितीय सूत्र मॉडल के मुताबिक देश में केस की संख्या कम होगी लेकिन हम लोगों को थोड़ी सावधानी बरतनी ही पड़ेगी। मास्क सोशल डिस्टन्सिंग और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूरी होगा।
शिवरात्रि से कम होने लगेंगे केस
प्रो.अग्रवाल के गणितीय सूत्र मॉडल के मुताबिक 15 फरवरी से देश में संक्रमण कम होने लगेगा। एक मार्च को शिवरात्रि है। उससे पहले देश में संक्रमण लगभग खत्म हो जाएगा।
ओमीक्रोन ने अगर रूप बदला तो बदल सकती है स्थिति
आपको बता दें कोरोना की पहली लहर के बाद दूसरी लहर से पहले लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना पूरी तरह से भूल गए थे। उस दौरान डेल्टा वेरिएंट ने अपने अंदर काफी बदलाव किए थे, तभी जाकर इसके डीएनए में हो रहे बदलाव को पहचान नहीं पा रहे थे। अगर ओमीक्रोन भी अपने अंदर बदलाव लाता है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। यह और घातक भी बन सकता है या जिस तरह से संक्रमण फैला रहा है उससे इसकी क्षमता कम भी हो सकती है।
साउथ अफ्रीकी स्ट्रेन से अलग है भारतीय स्ट्रेन
प्रो. अग्रवाल ने ओमीक्रॉन के मामलों पर अपने पूर्व के आकलन को संशोधित किया है। उनका कहना है पहले साउथ अफ्रिका के स्ट्रेन को देखकर कर लगा था भारत में भी ऐसा ही होगा लेकिन जो आकड़ें मेरे पास आये है उसे देखते हुए यह अफ्रीकी स्ट्रेन से अलग है। अब लग रहा यहां ओमीक्रॉन साउथ अफ्रिका से अलग ट्रेन दिखा रहा है यहां वह लोगो की एमनियुटी को बाईपास कर रहा है जबकि साउथ अफ्रिका में वह एमनियुटी बाईपास नहीं कर पाया था, इसी लिए आने वाले कुछ दिन जब मामले घटने लगे तो थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी।
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