बड़े ब्लड बैंक में महज कुछ यूनिट ब्लड ही स्टॉक में ...
छाया ब्लड बैंक का संकट
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बाद ब्लैक फंगस के पैर पसारने से कानपुर सहित प्रदेश के सभी ब्लड बैंकों में संकट के बदल छा गए हैं। जिसका सीधा असर अन्य गंभीर मरीजों पर पड़ रहा है। ब्लड नहीं मिलने की वजह से थैलेसीमिया (रक्त-रोग) के मरीजों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। आंशिक, कोरोना लॉकडाउन के चलते काफी दिनों से किसी संस्था ने ब्लड डोनेशन कैंप भी नहीं लगवाया है। जिसकी वजह से डोनर मिलने में काफी मुश्किल हो रही है। यहां तक कि यूनिवर्सल ब्लड ग्रुप O+ भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
कानपुर के सरकारी हैलट अस्पताल जैसे बड़े ब्लड बैंक में महज कुछ यूनिट ब्लड ही स्टॉक में है। ऐसे में थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों जिनमें बच्चे भी शामिल है, उनको परेशानी झेलनी पढ़ रही हैं। हैलट अस्पताल में जिन्हें ब्लड नहीं मिल रहा है, वो जिला अस्पताल उर्सला पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां से भी उन्हें निराशा हाथ लग रही है।
थैलेसीमिया से हुई 11 साल की बच्ची की मौत
ब्लड बैंकों में ब्लड की किल्लत का नतीजा शहर की 11 साल की बच्ची को भुगतना पड़ा। थैलेसीमिया बीमारी से जूझ रही बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि उसे यह बीमारी हो गई और उसे कोरोना काल में अस्पताल मे भर्ती होना पड़ा। ब्लड न मिलने की वजह से मासूम ने गुरुवार सुबह आखिरी सांस ली।
नहीं मिला O+ ब्लड
बीती 26 मई को अपने देवर द्वारा चाकू से हुए हमले में घायल नजमा परवीन के पेट में काफी अंदरूनी चोट आईं थी। वह हैलेट अस्पताल में भर्ती हुई। अस्पताल पहुंचने तक उसका काफी खून बह गया था। उसे अगले दिन यानी गुरुवार को शहर में किसी भी सरकारी ब्लड बैंक में 0+ ब्लड नहीं मिला।
ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लग रहे हैं
ब्लड डोनेशन कैंप न लगने की वजह से ब्लड बैंक खाली हुए जा रहे हैं। शहर के सभी ब्लड बैंकों में कई ब्लड ग्रुप के स्टॉक खत्म हो चुके हैं। यहां तक कि लोगों को O+ ग्रुप और B+ जो कि यूनिवर्सल ब्लड ग्रुप है, वो भी नहीं मिल पा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कई निजी ब्लड बैंक ब्लड को भी स्टॉक कर सही समय का वेट कर रहे हैं।
थैलेसीमिया सोसाइटी ने अपील की थी
कानपुर थैलासीमिया सोसाइटी ने एक अपील की है कि लोग आगे बढ़े और ब्लड डोनेशन का कार्य शुरू करें। कोई भी वैक्सीनेशन के 48 घंटे पहले ब्लड डोनेट कर सकते हैं। इसी तरह वैक्सीनेशन के 28 दिन बाद भी ब्लड डोनेट किया जा सकता है। सोसायटी में डॉ के के मिश्र बताते है कि कोई भी आप आदमी जिला अस्पताल उर्सला जाकर ब्लड डोनेट कर सकता है। इसके लिए खास इंतजाम किए गए हैं। ऐसा ही कुछ हैलट अस्पताल में भी है। ब्लड डोनटे करने वालों के लिए एक खास जगह बनाई गई है, जो एकांत में हैं और वहां ब्लड डोनट करने वाले के अलावा कोई भी नहीं रहता है।
138 बच्चों की जान को खतरा
थैलेसीमिया सोसाइटी की अपील के बारे में डॉ के के मिश्र ने बताया कि शहर में 138 बच्चें थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। इनको हर सप्ताह एक यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। इस तरह से 500 यूनिट ब्लड एक महीने में चाहिए होता है।
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