सवाल- जेल भेज देने मात्र से पीड़ित का न्याय हो जाता है क्या ? ...
वर्तमान मोदी सरकार ने अपने वक्तव्य में कहा था हमारी सरकार की प्रथमिकता महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा पर बल देना हैं ।क्या ऎसा हो पाया ये कहना जरा मुश्किल हीं हैं क्योंकि सरकार ने रेप पीड़ित को न्याय देने के लियें कानून तो कड़े कर दिये पर अपराधी को जेल भेज देने मात्र से पीड़ित क़ा भला हो जाता हैं क्या पीड़ित को आगे भी समाजिक व चिकित्सीय मदद नही मिलनी चाहिये ?ये कुछ ऎसे सवाल हैं जिनका जवाब सरकारों और समाजिक संस्थाओं के पास शायद नही हैं।
एक ऎसा हीं मामला कानपुर के रेलबजार थानान्तर्गत रहने वाली 8साल की रेप पीड़ित बालिका क़ा हैं नाम शाहिना (काल्पनिक ) उम्र 8वर्ष मां क़ा नाम नूर जहां(काल्पनिक ) निवासी कमेला बस्ती सुलभ नम्बर 35मीरपुर छावनी.बालिका के साथ उसी क्षेत्र के रहने वाले शमशाद पुत्र तस्लीम ने 1जनवरी को बलात्कार किया था। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी ने पहले भी कई नाबालिक बच्चियों के साथ कूक्रत्य किया हैं पर हर बार पैसे के बल पर बच जाता था। पर इस बार उसे पास्को एक्ट के तहत जेल भेज दिया गया। यहां बात ये हैं की आरोपी तो जेल चला गया पर रेप पीड़ित बालिका को अब सरकार से और समाजिक संस्थाओं से मदद की दरकार हैं बालिका की हालत अभी भी खराब हैं मां के अनुसार बालिका के पेट में व कमर में दर्द बना रहता हैं और घर की माली हालत खराब होने के कारण मां अपनी बालिका क़ा इलाज नही करा पा रही हैं मां ने कानपुर के उर्सला अस्पताल में बेटी को दिखाया पर वहां भी उसे टरका दिया गया अब रेप पीड़ित बालिका और उसकी मां की दशा और मनोदशा दोनो खराब हैं और मां बेटी दोनो अब सरकार और समाजिक संस्थाओं से मदद करने की अपील कर रही हैं। एक आठ साल की बालिका जिसकी मां दूसरों के घरो में झाडू पोंछा कर किसी तरह दो वक्त की रोटी क़ा जुगाड़ करती हैं आज उसे समाज और सरकार दोनो से मदद की आस हैं।