हॉटस्पॉट इलाकों में दूसरे दिन ही बढ़ी मुसीबतें ...
दिक्कतें हज़ार चौकस प्रशासन कोशिशें बेकार
कानपुर के विभिन्न हॉट स्पॉट एरिया को रेड जोन घोषित कर पूर्ण रूप से आवागमन के लिए निषेध क्षेत्र घोषित होने के दूसरे दिन ही लोगो के लिए दुश्वारियों का दौर चालू हो चला है। खाने पीने की दिक्कतों के साथ विभिन्न रोगों से ग्रसित रोगीयों के लिए दवाइयों की आपूर्ति की कोई भी उचित सुविधा का न होना इन क्षेत्रों के लोगो के लिए कोरोना महामारी से कही ज़्यादा कष्टकारी हो गया है। प्रशासन द्वारा विभिन्न सुविधाओ, हेल्प लाइन नंबर्स होम डिलिवरी की सुविधाएं भी नही पहुँचा पा रही राहत, कही डिलीवरी से इनकार तो कही पैसे की क़िल्लत रोज़गार ठप होने के चलते बन रही है बाधा।
कानपुर के कुलीबाज़ार, चमनगंज, बाबूपुरवा में दो और मछरिया के तीन स्थानों को हॉटस्पॉट में शामिल करने के बाद से लागू पूर्ण लॉकडाउन के दूसरे दिन से ही लोगों की दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। इन इलाकों में रहने वाली करीब 80 प्रतिशत आबादी दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालती है। ऐसे में रोजमर्रा के महंगे सामान को लेकर लोगों की समस्याएं बेहद गंभीर हैं। हमारे जर्नलिस्ट ने सील किए गए इलाके के माहौल और लोगों की समस्याओं को देखा-समझा।
कुलीबाज़ार क्षेत्र में लोगो को खाने की व्यवस्थाओं से कही अधिक दवाईयों के लिए परेशान होते नज़र आए, क्षेत्र की अधिक्तर आबादी निम्न वर्ग की होने के कारण रोज़ कुँवा खोदना रोज़ पानी पीने को विवश है साथ ही क्षेत्र मे विभिन्न लंबे समय तक उपचार चलने वाले रोगों से पीड़ित मरीज़ों की संख्या अधिक है। लोगो द्वारा बताया गया कि क्षेत्र का सबसे संतुलित एवं उचित मूल्यों पर दवाइयां उपलब्ध कराने वाला मेडिकल स्टोर बन्द है, जिसके संचालक दूसरे क्षेत्र मे निवास करते है रेड जोन घोषित होने के चलते आवागमन में कठनाई के कारण आने में असमर्थता जताई।
मछरिया मस्जिद खैर निवासी अकील अहमद ने बताया के आसपास का इलाका शुक्रवार को पूरी तरह से सील कर दिया गया। अब यहां ठेले वाले महंगा सामन बेच रहे हैं। 80 रुपये किलो टमाटर, 120 रुपये किलो हरी मिर्च, 80 रुपये किलो भिंडी और 30 रुपये किलो लौकी बिक रही है। दूध, दवा समेत राशन के लिए तरसना पड़ रहा है। खैर मस्जिद के पास स्थित दूध और दवाओं की दुकानें खुलवा दी जातीं तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख कर लोगों की मदद की जा सकती थी।
मछरिया हिदायत उल्लाह मदरसा निवासी मों शकील ने कहा घर के आस पास का इलाका ब्लॉक कर दिया गया है। किसी को भी अंदर से बाहर और बाहर से अंदर जाने पर रोक लगी है। क्षेत्र में सैनिटाइजेशन भी कराया गया है। घरों में कैद लोगों को आवश्यक वस्तुओं के लिए काफी जद्दोजहद उठानी पड़ रही है। हमारे पूरे इलाके में 15 इलाकाई युवक लगाए गए हैं, जो लोगों को अंदर आने से रोकने में पुलिस की मदद के साथ ही लोगों को जरूरत का सामान भी बाहर लाकर उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन लोगों को अपनी बारी का कई कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है।
इमरान खान बताते हैं मछरिया नसीमाबाद मस्जिद को जाने वाले सभी रास्ते सील कर दिए गए हैं। मछरिया के तीनों इलाकों को मिला कर करीब 25 हजार की आबादी को वर्तमान में पूरी तरह से सील किया गया है। सब्जी के ठेले वालों को अंदर जाने की छूट दी गई है, लेकिन कोई भी डर के मारे अंदर नहीं जाता है। इससे लोगों को खाने पीने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खासकर उन महिलाओं को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके घरों में छोटे बच्चे हैं। उनके पीने के लिए दूध की किल्लत हो रही है।
सुफ्फा मस्जिद को आने वाले और बाहर जाने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक किया गया है। इलाके के रहने वाले अजरा नूरा अंसारी ने बताया यहां रहने वाले अधिकांश लोग दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर हैं। उनके पास पैसे खत्म हो चुके हैं। ऐसे में रोज सामान खरीद कर परिवार का पेट भर पाना मुश्किल हो रहा है। कुछ समाजसेवी संस्था पहले यहां लोगों की मदद के लिए खाने के लिए लंच पैकिट और राशन बंटवा जाते थे, लेकिन संपूर्ण लॉकडाउन के बाद वो भी नहीं आ रहे हैं। लोगों को कोई भी सामान अगर लेना होता है तो पुलिस की मदद में लगे इलाके के कुछ युवा उन्हें अंदर ही खुली कुछ दुकानों से सामान लाकर दे देते हैं। इस पर ज्यादा सामान एक साथ मंगाने की शर्त रखी गई है, जो दिहाड़ी मजदूरों के लिए नामुमकिन है।
शबनम बानो कहती हैं मुंशीपुरवा बिलाल मस्जिद के आसपास का इलाका भी पूरी तरह से सील किया जा चुका है। कई लोगों के घरों में राशन समेत जरूरत का सामान खत्म हो चुका है। घरों से बाहर न निकल पाने के कारण इलाके के ही कुछ लोग उनकी मदद कर रहे हैं। लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। अपने घरों से दो वक्त की रोटी मुहैया करा रहे हैं। बाहर से ठेले लेकर जरूरत का सामान बेचने आने वाले लोग फिलहाल लापता हो गए हैं। जिन घरों में बूढ़े बुजुर्ग बीमार थे, उनकी दवाइयों का संकट आ गया है। कई दवाइयां आसपास के मेडिकल स्टोर तक में उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे लोगों को पुलिस को छूट देनी चाहिए, जिससे वो आवश्यक दवाएं ला सकें।
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