खेलने की उम्र में 557 नौनिहाल लड़ रहे टीबी से ‘जंग’......... ...
उन्नाव में 557 नौनिहाल लड़ रहे टीबी से ‘जंग’
उन्नाव। खेलने उम्र में नौनिहाल टीबी की चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं। बीते तीन सालों में जिले में टीबी से पीड़ित बच्चों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। चिकित्सकों के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मौजूदा समय में जिला क्षय रोग अस्पताल में टीबी रोग से पीड़ित 557 बच्चों का इलाज चल रहा है। जिसमें अधिकतर बच्चे 8 से 12 वर्ष के बीच के हैं। इन बच्चों को स्वस्थ्य बनाने के लिए फ्रूट व चाकलेट फ्लेवर की दवाएं खिलाई जा रही हैं।
जिले में 3481 लोग टीबी रोग से पीड़ित हैं। इनमें पल्मोनरी टीबी के 2281 व एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के 1200 मरीज हैं। टीबी के 3481 मरीजों में से 557 मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र 16 वर्ष से कम है। जिला क्षय रोग विभाग के चिकित्सकों के अनुसार तीन साल पहले तक टीबी से पीड़ित व्यक्तियों में बच्चों की संख्या 5 से 10 प्रतिशत ही रहती थी। हालांकि कुछ वर्षों में इसमें तेजी से इजाफा हुआ है। टीबी से पीड़ित बच्चे अधिकतर शहरी क्षेत्र के हैं। चेस्ट रोग स्पेशलिस्ट डा. शोभित अग्निहोत्री ने बताया कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कुपोषित बच्चे भी जल्दी टीबी का शिकार हो जाते हैं। स्वस्थ्य बच्चे जब टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो वह भी बीमार हो जाते हैं। टीबी रोग से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग कर उनका इलाज किया जा रहा है।
बरतें सावधानी,संदेह पर कराएं जांच
जिला अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. शोभित अग्निहोत्री ने बताया कि यदि बच्चे को दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय से लगातार खांसी आती है तो जांच कराना आवश्यक है। टीबी के कीटाणु बच्चे के फेफड़ों से शरीर के अन्य अंगों में बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं। प्राइमरी टीबी में बच्चा अधिक बीमार रहता है। शुरुआत में बच्चों में हल्का बुखार निरंतर बना रहता है। रात को सोते समय पसीना अधिक आता है। क्षय रोग फेफड़े की बीमारी होती है। इससे बच्चों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। टीबी के संदिग्ध लक्षण मिलने पर नजदीकी डॉट्स सेंटर पर जांच कराएं। टीबी की जांच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क है। 6 से 8 माह तक रोगी को डॉट्स पद्धति से इलाज किया जाता है।
एक टीबी का मरीज 15 को कर सकता है बीमार
टीबी रोग से संक्रमित व्यक्ति 15 अन्य लोगों को बीमार कर सकता है। चिकित्सक मानते हैं कि जिले में टीबी से पीड़ित बच्चों की संख्या भी इसी वजह से बढ़ रही है। जिन बच्चों का जिला क्षय रोग विभाग में इलाज चल रहा है उनकी जब काउंसलिंग की गई तो पता चला कि उनके घर में भी पहले किसी न किसी सदस्य को टीबी हो चुकी है। टीबी के कीटाणु खांसने व छींकने से वातावरण के जरिए स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं।
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