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क्षेत्रीय थाना दिखा रहा उदासीनता, अपराधियों के हौसलें बुलंद ...

सार 

दो पक्षों के बीच बचाव करवाना भारी पड़ा पत्रकार को, जानलेवा हमले मार पिटाई एवं हुआ हत्या का प्रयास, भाग कर बचाई जान, पुलिस ने बरती लापरवाही झूठे मुक़दमे में फसा पत्रकार, एक पक्ष का पालनहार क्षेत्रीय थाने का टॉप 10 सूचीबद्ध अपराधी।

विस्तार

कानपुर के हरबंश मोहाल थाना क्षेत्र के रहने वाले कैमरामैन के ऊपर 2 दिन पहले अगवा करने के बाद जानलेवा हमला करने वाले बदमाशों के गुरुओं ने कैमरामैन के ऊपर ही थाने में फर्जी मुकदमा लिखवा दिया हद तो तब हों गई जब हरबंस मोहाल पुलिस ने बगैर जांच किये घायल पत्रकार पर मुक़दमा लिख भी दिया। फिलहाल मामले की  शिकायत कैमरामैन ने उच्च अधिकारियों से की जिसके बाद अधिकारियों ने उसकी मदद करने का पूरा भरोसा दिलाया है मगर अपराधियों के अंदर पुलिस का कतई भी डर नहीं बचा है आज फिर अपराधियों ने कैमरामैन के घर पहुंच कर उसकी खोज की मगर वह हाथ नहीं लगा घटना आपको बताते चले की रविवार को डीजे पर गाना बजाने को लेकर दो पक्षों में विवाद चल रहा था जिसकी सूचना अरुण कश्यप कैमरामैन ने संबंधित थाना हरबंश मोहाल को दी जिसके बाद पुलिस दोनों पक्षों को पकड़कर थाने ले गई थी मगर क्या पता था कि उसकी ही जान पर बन आयेगी  मंगलवार दोपहर अरुण अपने घर के बाहर बैठा था तभी 15 से 20 अपराधिक प्रवत्ति के युवक आए और तमंचा लगाकर अरुण को ऑटो में भरकर ले गए जिसके बाद पास में बने स्टैंड मे ले जाकर अरूण की पिटाई कर दी पिटाई करने के बाद साथी पिस्तौल निकालकर मारने जा रहे थे तभी जान बचाकर वहां से भागा और पुलिस को सूचना दी।लेकिन अपराधियों पर पुलिस का कोई असर नहीं है आज भी गुट बनाकर अपराधी अरूण की तलाश कर रहें है। हरबंस मोहाल पुलिस को सभी बातों से अवगत कराया गया घटना के एक दिन पहले भी पत्रकार अरूण को लाखन और मनीष ने धमकी दी थी जिसकी रिकार्डिंग थानाध्यक्ष अवस्थी को दी गई थी उसके बाद भी हरबंस मोहाल थानाध्यक्ष ने मामले में गम्भीरता नही दिखाई और 3 तारीख को अरूण पर लाखन और मनीष ने हमला कर दिया। अब यदि कल को पत्रकार पर दोबारा कोई हमला हुआ और पत्रकार की जान चली गई तो कहना गलत नही होगा कि जिम्मेदार हरबंस मोहाल थाना ही होगा।

कुछ महीने पूर्व पुलिस की लापरवाही की बलि चढ़ चुका है एक पत्रकार

ठीक ऎसा ही एक मामला कुछ महीनों पहले राय पुरवा थानान्तर्गत विजय गुप्ता के साथ हुआ था विजय गुप्ता ने भी अपनी जान का खतरा बताया था उस समय भी रायपुरवा थाने ने मामले में कोई गम्भीरता नही दिखाई थी और बाद में विजय गुप्ता को जान से हाथ धोना पड़ा था हरबंस मोहाल थाना भी अरूण कश्यप के मामले यही उदासिनता दिखा रहा है।

बताते चले पत्रकार द्वारा अपने विरुद्ध लगाए गए फ़र्ज़ी मुक़दमे के साक्ष्य उपलब्ध है साथ ही घटना स्थल एवं घटना के समय क्या क्या घटित हुआ इस के भी साक्ष्य विभिन्न पत्रकार संग़ठन समाजसेवी संस्थाओं एवं माननीय न्यायालय के समक्ष उपलब्ध कराने की बात भी पीड़ित पत्रकार एवं उनके परिजनों द्वारा कही गई साथ ही पुलिस की निष्क्रियता को भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की बात कही गई कि किस प्रकार दबंगो के दबाव में थाना कार्य कर एक पत्रकार का उत्पीड़न कर रहा है आम जनता तो राम भरोसे ही है।

 

 

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