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खनन के खेल में सारे एक्शन फेल, पुलिस को पहुंचती है रकम ...

ग्रामीणों में आक्रोश

कानपुर में खनन रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से की गईं कार्रवाई फेल साबित हुई हैं। छह महीने पहले प्रशासन ने खनन माफिया पर एक दर्जन से अधिक रिपोर्ट कराई थीं लेकिन इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। न तो पुलिस ने इसके आगे कुछ किया और न ही प्रशासन ने। लिहाजा खनन माफिया फिर से दिनदहाड़े सत्ताधारी नेताओं की सह पर गंगा और किसानों की जमीनों को छलनी करने में लगे हैं। गंगा से रोजाना सैकड़ों ट्रक बालू ढोई जा रही है। चौबेपुर व बिठूर क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किनारे गंगा में रेत का खनन चल रहा है। ट्रकों की आवाजाही से सुनौढ़ा, दुर्गापुर, सहजोरा, कटरी, पाठकपुर, डिमरापुर, वाजिदपुर, बहलीपुर, अटवा, क्योना व बेहटा समेत दर्जनों गांव के सैकड़ों बीघा खेतों की फसल बर्बाद हो चुकी है। खनन की वजह से इन क्षेत्रों में गंगा का रुख ही बदल गया है। ग्रामीणों में इसको लेकर आक्रोश है लेकिन वे डर की वजह से मुंह नहीं खोल पा रहे हैं।

एनसीआर समेत अन्य जिलों के हैं ठेकेदार

सत्ताधारी नेता के गुर्गे यानी खनन माफिया ने अलग-अलग लोगों को खनन के अवैध ठेके दे रखे हैं। इसमें एनसीआर समेत कानपुर के आसपास जिलों के ठेकेदार हैं। कई बार जब ग्रामीणों ने खनन का विरोध किया तो ठेकेदारों ने कहा कि उन्होंने इसके लिए लाखों रुपये दिए हैं। दरअसल ठेकेदारों से खनन माफिया सौदा तय करते हैं। उसके बाद रकम ऊपर तक पहुंचाई जाती है। इसमें कल्याणपुर की एक पंडित जी की तिकड़ी भी शमिल है। जो नेताजी का खनन का पूरा काम देखती है।

कागजों पर ही दर्ज रह गए मुकदमे

जुलाई में अवैध खनन के खिलाफ अभियान चला था। इस दौरान खनन माफिया राजन सिंह समेत दर्जनों के खिलाफ बिधनू, महाराजपुर, नर्वल, बिठूर व चौबेपुर में रिपोर्ट दर्ज हुईं थीं लेकिन हैरानी की बात ये है कि किसी भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई। केस केवल कागजों में ही दर्ज रह गए। वहीं प्रशासन की कार्रवाई में एक-दो लेखपाल के निलंबन तक ही कार्रवाई सीमित रही। खनन खाकी की मदद से ही चल रहा है। पुलिस को भी हिस्सा पहुंचता है। यही वजह है कि खनन की तमाम शिकायतें संबंधित थानों में पहुंच रही हैं पर कार्रवाई नहीं हो रही।

ऐसे करते हैं खेल

गंगा से बालू खनन हो या मिट्टी का खनन। माफिया इसमें खेल करते हैं। ठेका लेने के बाद मानकों से ज्यादा खनन कर डालते हैं। पूरी सेटिंग के चलते पुलिस प्रशासन कुछ बोलता नहीं। खेतों को खनन के लिए देने वाले किसान मानक से ज्यादा खनन देखकर विरोध तो करते हैं लेकिन उन्हें डरा धमकाकर शांत करा दिया जाता है। 
1- 20 से अधिक स्थान पर हो रहा खनन (चौबेपुर, बिठूर, महाराजपुर, बिधनू में)
2- 17 खनन माफिया पर मुकदमे के बाद भी नही रुका अवैध धंधा
3- 5 करोड़ प्रतिमाह का धंधा होता है अवैध खनन से
4- 15-20 फीसदी कमीशन पर खनन माफिया छलनी कर रहे गंगा और जमीन

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