सत्ताधारी नेताओं के रिश्तेदार बने खनन माफिया के पैरोकार..... ...
छलनी ग्राम समाज और किसानों की जमीन,
सत्ताधारी नेताओं के रिश्तेदारों की शह में बिधनू क्षेत्र में कई खनन माफिया सक्रिय हैं। इन लोगों ने किसानों और ग्राम समाज तक की जमीन खोद डाली। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (माल भाड़ा पथ) के नाम पर कानपुर के बिधनू के दर्जनों गांवों की ग्राम समाज और किसान की जमीन खोदकर तालाब कर दी।
इस खेल में नेताओं के रिश्तेदारों के साथ ही ग्राम प्रधान, लेखपाल, सेक्रेटरी भी शामिल हैं। यही वजह है कि माफियाओं को न तो पुलिस का भय है और न ही प्रशासन का डर। पीड़ित किसानों ने बिधनू के करौली चौकी से लेकर तहसील तक शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे बंधक बनाकर मारे गए। किसान माफिया की करतूतें बता रहे हैं।
बिधनू के पिपरगवां निवासी राजेश कुमार, देव नारायण, पंकज, नीरज, लखन, निपेंद्र, कैलाश ने बताया कि जनवरी में खुद को रेलवे का ठेकेदार बताने वाला अभिषेक सिंह उनके गांव पहुंचा। उसने किसानों से प्रति बीघा तीन फीट खनन का 90 हजार रुपये में सौदा किया। इसके बाद ठेकेदार ने सभी किसानों से दो से आठ बीघा का 10 रुपये के स्टांप पेपर पर खनन की अनुमति लेने का झांसा देकर हस्ताक्षर करा लिए।
इसके बाद ग्राम प्रधान, लेखपाल और सेक्रेटरी से मिली भगत कर बिना रुपये अदा किए रातोंरात 15 से 20 फीट मिट्टी खोद ले गए। बाद में माफिया ने सनिगवां स्थित कार्यालय बुलाकर पीटा। पीड़ितों ने इसकी शिकायत चौकी से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय, तहसील दिवस में की, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई।
रुपये न मिलने पर किसानाें का पोकलैंड मशीन में कब्जा
किसानों ने बताया कि कुछ माह पहले खनन माफिया द्वारा पिपरगवां के पास ग्राम समाज की जमीन में खनन करने की जानकारी मिली। पीड़ित किसानों ने वहां पहुंचकर पोकलैंड मशीन और चालक को बंधक बना लिया। ठेकेदार को बुलाने की जिद पर अड़े रहे। आरोप है कि सत्ताधारी नेताओं के रिश्तेदारों के कहने पर बिधनू पुलिस पहुंची और चालक को साथ ले गई। बाद में उसे छोड़ दिया। इससे गुस्साए ग्रामीणों ने पौकलैंड मशीन गांव में लाकर खड़ी कर दी, जो अभी भी खड़ी है।
पैसा दो, चाहे जितना खोदो,
खनन से होने वाली कमाई का हिस्सा सत्ताधारी नेताओं, लेखपाल, ग्रामप्रधान और सेक्र्रेटरी तक जाता है। इसमें सत्तापक्ष के नेता का रिश्तेदार खनन करवाने के नाम पर प्रति बीघा 20 हजार और ग्राम समाज की प्रति बीघा जमीन में खनन करवाने का एक लाख रुपये लेता है। इसके अलावा ग्राम प्रधान से लेकर सेक्र्रेटरी तक भी 20 से 30 फीसदी हिस्सा पहुंचता है। रुपये देने के बाद खनन माफिया रातोंरात अनुबंधन से कई गुना ज्यादा खुदाई करते हैं।
विरोध किया तो कर दी पिटाई
पिपरगवां के रहने वाले मदन पासी ने बताया कि खनन माफिया उनके खेत के बगल में ग्राम समाज की जमीन पर खनन कर रहे थे। जानकारी के बाद वह पत्नी संग खेत पहुंचे और मशीन के सामने लेट गए। इस पर वहां मौजूद लेखपाल और खनन माफिया ने पिटाई शुरू कर दी। कहा ये जगह तुम्हारी नहीं है।
इतना खोदा की बालू दिखने लगी
गांव के रहने वाले संजय और उपेंद्र ने बताया कि उन्होंने अपनी ढाई-ढाई बीघा जमीन खनन माफिया को दी थी। खेत गांव से दूर होने के चलते घर का कोई सदस्य वहां नहीं गया। इस बीच माफिया ने 25 फीट से ऊपर मिट्टी खोद डाली। सुबह पहुंचे तो खेत में मिट्टी की जगह बालू दिखाई देने लगी।
रुपये न मिलने से किसान की हार्टअटैक से मौत
गांव की रहने वाली 75 वर्षीय राम प्यारी ने बताया कि उनके बड़े बेटे उमा शंकर ने अपनी सात बीघा जमीन रेलवे ठेकेदार को दी थी। ठेकेदार ने खनन माफिया के जरिये उनके खेत से 15 से 20 फीट तक मिट्टी खोद डाली। इसके बाद बिना रुपये अदा किए भाग निकला। रुपये मांगने पर खनन माफिया ने उनके बेटे से गालीगलौज कर जान से मारने की धमकी दी। इससे उसे दिल का दौरा पड़ गया और 27 मार्च को अस्पताल में मौत हो गई।
Leave a Reply