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रसूख़ और पैसे के दम पर हो रहा गाँव वालों की जिंदगी से खिलवाड़ ...

हम भी है ज़िम्मेदार

केंद्र हो या राज्य सरकार और चाहे स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जी कोई भी कुछ नही कर सकता जब तक इन के अंतर्गत आने वाले सरकारी संस्थान और उसमें कार्यत लोग सरकारी योजनाओं और संविधान अनुसार सरकारी योजनाओं और जन समस्याओं को पारदर्शिता से जनता के बीच ले जाकर अमली जामा नही पहनाएंगे।

कानपुर देहात का एक छोटा सा गांव जहाँ की जनता इंतज़ार कर रही सरकार और उसके मातहत काम करने वाले प्रशासन और अपनी गलती से चुनाव किये गए ग्राम प्रधान से इंसाफ का, जिस की परेशानियों का सबब बन चुका है एक तालाब जो कभी हुआ करता था स्वच्छ और निर्मल परंतु अब हो चुका है श्रापित वह भी एक साबुन कंपनी के पानी से। अचंभित न हो जब मनुष्यों द्वार किसी कार्य एवं वस्तु विशेष का निवारण करने में असमर्थ हो जाता है तो वह यह तो भगवान भरोसे हो जाता है यह फिर अंधविश्वास की गहरी खाई में गिर जाता है।

मामला

गांव वालों के अनुसार सभी संबंधित व्यक्तियों को निरंतर सूचित किये जाने के पश्चात भी किसी भी प्रकार का कोई समाधान नही हुआ। ग्राम प्रधान भी अपनी धुन में मगन रहते है उनको भी किसी प्रकार की कोई चिंता नही लगातार पशुओं को साबुन कंपनी से छोड़ा जा रहा प्रदूषित पानी काल की गोद में धकेल रहा है जो कि गरीब गाँव वालों की जीविका का एक स्रोत्र भी है अगर इस प्रकार ही पशु तालाब का पानी पी कर मरते रहे तो हम तो भूखे मर जाएगे। प्रदूषित पानी आज पशुओं को लील रहा है तब का क्या जब इस के चलते किसी प्रकार का संक्रमण गाँव वालों को अपनी चपेट में ले लेगा।

कानपुर: हम बात कर रहे है भैला मऊ गाँव भौति की जहाँ गाँव के तलाब का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। देखने को जहाँ तालाब का अस्तित्व बरकरार है परंतु जिस प्रकार तालाब अपनी स्वच्छ छवि खोता और साबुन कंपनी के केमिकल युक्त पानी के जमाव का केंद्र बनता जा रहा है, कहना गलत न होगा न चाह कर भी मजबूरी वश ही सही स्वयं गांव वाले ही तालाब का अस्तित्व समाप्त करने को मजबूर हो चले है क्यो की किसी को भी गरीब गाँव वालो और न ही उनके पालतू मवेशियों की चिंता है चिंता है तो वोट और नोट की। वहाँ हालात ऐसे है की उनके उभरने की उम्मीद भी खत्म होती नजर आ रही है गाँव भैला मऊ के तालाब की सफ़ाई हुई वर्षों बीत गए और गाँव मे साबुन फैक्ट्री से निकलने वाला केमिकल का गंदा पानी निकल कर तलाब मे जा रहा है इससे तलाब तो भर जाता है पर साबुन फैक्ट्री के केमिकल का पानी पूरे तलाब के पानी कॊ दूषित कर रहा है जिससे गाँव के कई मवेशी भी मर गए है जब गाँव के निवासियों ने गाँव के प्रधान कॊ यहाँ बात बताई तो प्रधान ने उनकी एक नही सुनी। गाँव के लोगो का कहना है की गाँव के प्रधान सुशील यादव उर्फ राजू यादव ने उनकी कोई मदद नही की फैक्ट्री मालिक के पैसे के आगे प्रधान ने अपना ईमान बेच दिया। प्रधान सुशील यादव ने फैक्ट्री मालिक का हित और जहां वह पैदा उस गांव का अहित करनें पर आमादा हो गया। लोग बोले बचाओ हमे और हमारे मवेशियों कॊ सुशील यादव उर्फ राजू प्रधान और उसके आकाओं से।

गाँव के लोगो ने की साबुन फैक्ट्री के गंदे पानी की शिकायत 

प्रधान सुशील यादव ने तलाब में आने वाले गंदे पानी कॊ ना रुकवाया गाँव के लोगो का कहना है प्रधान सुशील यादव और फैक्ट्री के मालिक के बीच मिली भगत है। गाँव की  नालियों  की साफ  सफ़ाई तक़ नही होती गांव के दूसरे जगह कार्य करवाते है और जब बात गाँव भैला मऊ की आती है तो कोई कार्य  नही किया जाता है हाल मे ही फैक्ट्री से निकलने वाला केमिकल का पानी तलाब मे जा रहा है उस तलाब का पानी पी कर गीता देवी की भैस 16/9/19 कॊ मर गई  प्रधान सुशील यादव थाना सेचेण्डि कॊ शिकायत की पर थाने और गाँव के  प्रधान सुशील यादव की मिली भगत से तीन  दिन तक़ कोई कार्यवाही नही की जब गाँव के लोगो ने यहाँ बात मीडिया बंधु तक पहुंचाई तब प्रधान सुशील यादव थाना सचेण्डि ने कार्यवाही की इसके पहले  प्रधान थाना अध्यक्ष सुनने कॊ तैयार भी नही थे।

बचते नज़र आये ग्राम प्रधान

पोल खोल की टीम द्वारा गाँव वालों की परेशानियों को जाने के बाद ग्रामप्रधान से भी संपर्क कर उनका भी पक्ष जानने की कोशिश की गई। सर्वप्रथम तो ग्रामप्रधान हमारे कैमरे से बचते नज़र आये।काफी जदोजहद के पश्चात वह हमसे बात करने को राजी हुए परंतु अकेल गाँव वालों के बीच नही।प्रधान सुशील यादव अनुसार कोई सूचना नही थी। वह गाँववालो की हर संभव मदद को तैयार है आप के (पी के न्यूज़) माध्यम से प्राप्त सूचना अनुसार तत्काल गाँव से प्रदूषित पानी पी मारने वाली भैंस को पुलिस की निगरानी में सरकारी पशु चिकित्सक के निरीक्षण में पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है साथ ही अगर गाँव वालों की बात सत्य है और रिपोर्ट में प्रमाणित हुई तो स्वयं साबुन फैक्ट्री के विरुद्ध कार्यवाही भी करवाऊँगा। परंतु गाँव वालों का साफ शब्दों में कहना है यह सब कहने की बाते है ग्रामप्रधान स्वयं इन सब में संलिप्त है मामला सिर्फ तालाब पशु और संक्रमण का नही इनकी नज़र गाँव की ज़मीन तक है और यह सब खेल का एक हिस्सा है।

 

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