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बिन मरम्मत 103 सालों से हादसों को दावत देती पुलिस लाइन ...

पुलिस लाइन की मरम्मत तक नहीं हुई 

कानपुर कोतवाली क्षेत्र में बनी पुलिस लाइन का निर्माण 1917-18 में हुआ था। इसके बाद से इसकी मरम्मत तक नहीं हुई। 15 अगस्त या 26 जनवरी को रंगाई पुताई जरूरी हो जाती है। वर्तमान में ज्यादातर क्वार्टर जर्जर हैं। इसी वजह से एक क्वार्टर की छत भरभराकर ढह गई। यहां रह रहे सिपाहियों ने आरोप लगाया कि जर्जर क्वार्टरों में छत का प्लास्टर गिरना, दीवार गिरना तो आम बात हो गई है। इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी है लेकिन मरम्मत नहीं हुई। 

ज्यादातर सिपाही मेस में थे, नहीं तो हो जाता बड़ा हादसा

सिपाही राम प्रताप, जितेंद्र और अंकित ने बताया कि बैरक की छत गिरते ही तेज धमका हुआ था। धमाके की आवाज सुनकर जब वे बाहर आए तो चार सिपाही मलबे में दबे कराह रहे थे। बताया कि ज्यादातर सिपाही मेस में खाना खाने गए थे। थोड़ी देर बाद छत गिरती तो हादसा बड़ा हो सकता था। क्योंकि ज्यादातर सिपाही बैरक के बाहर छत के नीचे या छत पर सोते हैं।

ड्यूटी खत्म करने के बाद आराम करने लगे थे अरविंद

हादसे में मारे गए सिपाही अरविंद अपनी पत्नी नीलेश व दो बेटों हिमांशु और प्रियांशु के साथ कल्याणपुर के बारासिरोही में किराये के मकान में रहते थे। बड़ा बेटा हिमांशु बीए प्रथम वर्ष का छात्र है, जबकि छोटा बेटा हाईस्कूल में पढ़ता है। अरविंद को ताऊ के बेटे नौरतन सिंह ने बताया कि सोमवार रात उनकी पुलिस लाइन के गेट पर ड्यूटी थी। ड्यूटी खत्म करने के बाद वे आराम करने लगे। तभी हादसा हो गया। नौरतन भी पुलिस लाइन में तैनात हैं।

सूचना के आधे घंटे बाद पहुंची एंबुलेंस

पुलिस कर्मियों का आरोप है कि हादसे के बाद उन्होंने घटना की जानकारी अधिकारियों को देने के साथ ही 118 नंबर पर दी। एंबुलेंस आधा घंटे बाद पहुंची। इस पर पुलिस कर्मियों ने गुस्सा जताया। 

आए दिन होती है पुलिस लाइन की चेकिंग

पुलिस कर्मियों का कहना है कि आलाधिकारी आए दिन पुलिस लाइन की बैरक, मेस, शौचालय आदि देखते हैं। जर्जर हालत देख मरम्मत का आश्वासन भी देते हैं। शनिवार को भी डीआईजी ने एसएसपी कार्यालय में सभी अनुभागों को चेक कर जर्जर विभागोें की मरम्मत का आश्वासन दिया था।

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