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त्योहारों पर 25 करोड़ का अवैध टिकट कारोबार ...

गहरी होती जड़े

होली और दिवाली जैसे प्रमुख त्योहारों पर कानपुर में रेल टिकटों का अवैध कारोबार 25 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें पर्सनल आईडी पर बने ई-टिकटों का वाणिज्यिक इस्तेमाल, तत्काल टिकटों को बनाने में सेटिंग-गेटिंग का खेल व चार महीने पहले से ग्रुप टिकट कराकर इनकी जमाखोरी और फिर त्योहारों में कई गुना रकम लेकर इन्हें बेचने का हिस्सा शामिल है।

कार्रवाई केे नाम पर खानापूरी

होली और दिवाली के मौके पर जब रेल टिकटों के अवैध कारोबार सेे यात्रियों के परेशान होने की खबरें आने लगती हैं तो आरपीएफ अभियान चलाने की खानापूरी करती है। इसके तहत शहर के दूर दराज के मोहल्लों में खुले छोटे-मोटे साइबर कैफे  से एजेंटों को पकड़कर उन पर रेलवे एक्ट की कार्रवाई होती है।

आरपीएफ इन स्थानों से आगामी तारीखों के अधिकतम 20 टिकट ही पकड़ती है। पहले बन चुके टिकटों को अपनी कार्रवाई में जोड़कर संख्या बढ़ाती है। जबकि शहर के बड़े-बड़े ट्रैवेल एजेंट भी आईआरसीटीसी की पर्सनल यूजर्र आईडी का कॉमर्शियल इस्तेमाल करते हैं।

ये बड़े एजेंट आईआरसीटीसी से एक कॉमर्शियल आईडी लेते हैं लेकिन ज्यादातर टिकट पर्सनल आईडी से बनाते हैं। लेकिन सेटिंग के चलते इन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती। सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड में बड़े स्तर पर अवैध टिकटों का कारोबार होता है लेकिन आरपीएफ कभी कार्रवाई नहीं करती।

जेल जा चुका है करोड़पति कुली

टिकटों की कालाबाजारी में सेंट्रल स्टेशन के कुछ कुली, अवैध वेंडर और स्टेशन के आसपास रहने वाले एजेंट भी शामिल हैं। ये लोग त्योहार के चार महीने पहले से मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, पुणे, सूरत जैसे प्रमुख शहरों के टिकट बुक करा लेते हैं। इस खेल में ग्रुप टिकट कराए जाते हैं। मसलन एक व्यक्ति की आईडी से बनाया गए टिकट पर पांच लोग यात्रा कर सकते हैं।

फर्जी आईडी से नाम के शुरुआती अक्षरों से बने टिकट बुक कराते हैं। इसमें पूरे नाम की जगह शॉर्ट नाम लिखा होता है। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर डेढ़ साल पहले तत्कालीन आरपीएफ इंस्पेक्टर ने बन्ने नाम के कुली को पकड़ा था। उसके पास से 24 लाख रुपये के बने हुए कन्फर्म आरक्षित श्रेणी के टिकट बरामद हुए थे। उसे जेल भेजा जा चुका है। बताते हैं कि इस कुली के पास करोड़ों की संपत्ति है।  

इस सीजन में सरसौल से फफूंद के बीच आठ ऐसे एजेंट पकड़े गए हैं, जो कॉमर्शियल आईडी होते हुए भी पर्सनल आईडी से ई-टिकट बुक करते थे। टिकटों की दलाली करने वाले अन्य लोगों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।’
आरएन पांडेय, सहायक सुरक्षा आयुक्त, आरपीएफ

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