पीएम मोदी के आने से पहले कानपुर का हो रहा कायाकल्प ...
स्वागत के लिए जाेर शोर से तैयारियां
पीएम मोदी 14 दिसंबर को कानपुर आ सकते हैं। प्रशासन पीएम मोदी के स्वागत के लिए जाेर शोर से तैयारियां कर रहे हैं। कानपुर शहर को प्रशासन दुल्हन की तरह सजाने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री के प्रस्तावित रूट सीएसए से गंगा बैराज तक दीवारों में नमामि गंगे के प्रचार-प्रसार के साथ ही हरिद्वार से लेकर बनारस तक के गंगा घाटों की झलक दिखेगी।
नमामि गंगे और कानपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की तरफ से प्रस्तावित रूट के दोनों तरफ दीवारों पर पेंटिंग बनाने के लिए नगर के पेंटरों के साथ ही दूसरे शहरों के पेंटरों को लगाया गया है। रविवार को कंपनीबाग चौराहे से बैराज तक पेंटिंग होती दिखी। वीएसएसडी कॉलेज से बैराज चौराहे तक बिठूर के ऐतिहासिक घाट के साथ ही रुद्र प्रयाग, हरिद्वार, नरौरा, ऋषिकेश, कुंभ प्रयाग, रुद्रप्रयाग, मिर्जापुर के पक्का घाट, पांचाल घाट, गढ़मुक्तेश्वर, बिजनौर आदि के सुंदर घाटों की पेेंटिंग बनाई गई हैं।
बनारस से आएगी अलखनंदा, प्रयागराज से कैलाश
पीएम के दौरे के मद्देनजर बनारस से विशेष मोटरबोट ‘अलखनंदा‘, प्रयागराज से ‘कैलाश’ मंगाई जा रही हैं। प्रयागराज से चार और छोटी मोटरबोट आ रही हैं। एक-दो दिन में एनडीआरएफ की मोटरबोट भी बैराज आ जाएगी। जल निगम की निर्माण इकाई सी एंड डीएस को फ्लोटिंग जेटी (पानी में तैरता हुआ एक तरह का फर्श) तैयार करने को कहा गया है।
पीएम रूट के डिवाइडर उखाड़े
पीएम के प्रस्तावित रूट सीएसए चौराहे से बैराज रोड पर रविवार को पीडब्लूडी ने वेंडी स्कूल मोड़, कोहना चौराहा, बैराज चौराहे सहित अन्य चौराहों पर लगे फाइबर के डिवाइडर उखाड़े। इस रूट पर बने तारकोल मिक्स गिट्टी वाले करीब पौन-पौन फीट ऊंचे दोनों अन्य डिवाइडर भी तोड़े जा सकते हैं, ताकि पीएम का काफिला वहां से फर्राटा भरते हुए निकले। पीडब्लूडी ने शहर की गड्ढों में तब्दील अन्य सड़कों को नजरअंदाज कर चमाचम गंगा बैराज रोड पुन: बनाने की भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। सिग्नल बोर्ड, संकेतक भी लगाए जाएंगे।
मोटरबोट से लिया सुरक्षा व्यवस्था का जायजा
पीएम की सुरक्षा के मद्देनजर एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, आईपीएस बीबीजीटीएस मूर्ति, एसपी (पश्चिमी) अनिल कुमार, एसपी (एलआईयू) सहित अन्य अफसरों ने मोटरबोट से अटल घाट से सीसामऊ नाले तक दो चक्कर लगाए। सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। परमिया नाला, रानी घाट नाला को गंगा में गिरते भी देखा। उन्हें गंगा किनारे कुछ लोग मछलियों का शिकार करते भी नजर आए।
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