बदली गंगा, टेनरी-नालों पर रोक लगने से स्वच्छ हुई गंगा...... ...
टेनरी-नालों पर रोक लगने से स्वच्छ हुई गंगा
कानपुर में टेनरियों पर पिछले एक साल से लगे कई तरह के प्रतिबंधों का असर अब दिखने लगा है। गंगा जल में प्रदूषण के स्तर में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 90 प्रतिशत सुधार देखने को मिला है। गंगा के पानी में डिजाल्विंग ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा काफी बढ़ गई है।इसी तरह टेनरियों से निकलने वाले क्रोमियम की मात्रा घट गई है। नाइट्रेट की मात्रा भी मानक के अनुसार हो गई है। ये बातें छत्रपति शाहूजी महाराज विवि की रिपोर्ट से सामने आई हैं। विवि के बायोसाइंसेज एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. शाश्वत कटियार ने सोमवार को जुलाई 2018 से लेकर जुलाई 2019 तक की रिपोर्ट जारी कर दी। डॉ. कटियार के साथ वैज्ञानिकों की टीम ने कन्नौज से लेकर वाजिदपुर के बीच कुल नौ घाट से पानी का सैंपल लेकर जांच किया था।
पिछले साल की रिपोर्ट चिंताजनक थी
बीएसबीटी विभाग के निदेशक और शोध टीम के प्रभारी डॉ. शाश्वत कटियार ने बताया कि वर्ष 2018 के जुलाई माह में कन्नौज से वाजिदपुर के बीच कुल नौ घाटों से गंगाजल का सैंपल एकत्रित किया गया था। विवि की लैब में इसकी जांच की गई तो हैरान कर देने वाली जानकारी मिली थी। उस दौरान जल में डीओ की मात्रा काफी घट गई थी। क्रोमियम में जबरदस्त इजाफा हो गया था। इस रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के लिए जुलाई 2019 में भी उन्हीं नौ जगहों से सैंपल लिए गए।
स्वच्छता अभियान और ज्यादा पानी आना भी अच्छा
डॉ. कटियार ने बताया कि गंगा जल के प्रदूषण में आई गिरावट देशभर में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान का नतीजा है। कई जगहों से गंगा में पानी भी काफी मात्रा में छोड़ा जा रहा है। नाले पर लगे प्रतिबंध का भी काफी फायदा देखने को मिला है।
ऐसी बदली गंगा की तस्वीर
कैटैगिरी स्टैंडर्ड जुलाई 2018 जुलाई 2019
डीओ 5 से अधिक 3.02 5.5
बीओडी 2-8 24.48 10.6
आर्सेनिक 0.01 0.09 0.02
जिंक 3.0 0.08 0.06
कैडमियम 0.003 0.004 0.003
लेड 0.01 0.839 0.18
टीडीएस 100 पीपीएम तक 184 110
पीएच 6.5-8.5 9 8
क्रोमियम 0.05 12.15 1.15
नाइट्रेट 0.01-4.0 30 10
सीएसजेएमयू के बीएसबीटी निदेशक डॉ. शाश्वत कटियार ने बताया कि डीओ की मात्रा पिछले साल काफी घट गयी थी। इससे जलीय जंतुओं के जीवन पर संकट था। उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कतें होती। अब इसमें सामान्य से ऊपर स्तर हो गया है। इससे जलीय जंतुओं को फिर से जीवनदान मिल गया।आगे भी कायम रखना सरकार और समाज के लिए भी चुनौती है। हम सभी को इसमें अपनी अहम भूमिका देनी होगी। जल में प्रदूषण के स्तर पर आगे भी विवि की टीम निगरानी रखेगी।
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