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कानपुर में पांच से 10 करोड़ रुपये की जमा निकासी के 40 मामले ...

 

सच आया सामने,नोटबंदी में खातों से हुआ 5-10 करोड़ का लेनदेन,

महोबा के चरखारी में एक युवक के खाते में अचानक एक करोड़ रुपये आने की खबर भले ही लोगों के लिए चौंकाने वाली हो, लेकिन कानपुर में ऐसे मामलों की भरमार है। नोटबंदी के दौरान 40 से ज्यादा खातों में पांच से 10 करोड़ रुपये जमा किए गए और बाद में धीरे-धीरे निकाल लिए गए।

कुछ ही दिनों के भीतर भारी भरकम जमा-निकासी की स्थिति सामने आई तो आयकर अफसरों ने खातों में दर्ज पते पर जाकर पड़ताल की। इनमें से सभी खाताधारक बिहार और झारखंड के मजदूर निकले। ये कानपुर रोजी-रोटी की तलाश में आए थे। आयकर विभाग का कानपुर स्थित जांच निदेशालय नोटबंदी के बाद खातों में अप्रत्याशित जमा और निकासी के मामलों की गहनता से पड़ताल कर रहा है।

अब तक कानपुर में पांच से 10 करोड़ रुपये तक की जमा निकासी के 40 मामले सामने आए हैं, जबकि समूचे यूपी और उत्तराखंड में ऐसे मामलों की संख्या 174 है। ये सभी मामले फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने बैंकों से मिले ऑनलाइन डाटा की छंटनी के बाद चिह्नित किए हैं।

जांच निदेशालय बीते एक साल से इन प्रकरणों की गहन पड़ताल कर रहा है। सभी खाताधारकों से पूछताछ की गई और उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन किया गया। इनमें से ज्यादातर को यह भी नहीं पता था कि उनका बैंक खाता भी है। 

आयकर अफसर पूरा माजरा समझ चुके हैं कि नोटबंदी के दौरान मजदूरों को मोहरा बनाकर काली कमाई को सफेद किया गया है। आयकर अफसर अब हर खाते की जांच में बैंकों को भी शामिल करेंगे। खाता खोले जाने के समय लिए गए दस्तावेज जब्त किए जा रहे हैं।

बैंकों से पूछा जा रहा है कि इतनी बड़ी रकम निकालने के लिए कौन आता था। इसके अलावा मजदूरों से भी यह जानकारी जुटाई जा रही है कि नोटबंदी के दौरान या उससे पहले किस प्रतिष्ठान में काम करते थे। 

जोड़ी जा रही कड़ी से कड़ी 

प्रधान निदेशक अमरेंद्र कुमार का कहना है कि यह जांच बड़ी जटिल है। लेनदेन का कोई सीधा सुराग नहीं मिलने से अब कड़ी से कड़ी जोड़ी जा रही है। मजदूरों और बैंकों से मिल रही एक-एक सूचना के जरिये उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अरबों रुपये का काला धन सफेद किया।

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