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स्टेम सेल थेरेपी देने वाला प्रदेश का पहला लेवल-1 ट्रॉमा .... ...

 स्टेम सेल थेरेपी देने वाला प्रदेश का पहला लेवल-1 ट्रॉमा सेंटर होगा हैलट, 

कानपुर के हैलट में प्रस्तावित लेवल-1 ट्रॉमा सेंटर प्रदेश का इकलौता सेंटर होगा जिसमें स्टेम सेल थेरेपी मिलेगी। इसका लाभ खासतौर पर सिर की चोट के घायलों को मिलेगा। चोट के कारण मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होने से अचेतावस्था में रहने वाले रोगियों को संजीवनी मिल जाएगी।

वे जिंदगी जीने के लायक हो जाएंगे। इसके साथ ही स्पाइनल कॉर्ड चुटहिल होने से रोगियों को अपंगता की जिंदगी नहीं गुजारनी पड़ेगी। मेडिकल कॉलेज में खुलने वाले रिजनरेटिव मेडिसिन विभाग को भी लेवल-1 ट्रॉमा सेंटर से जोड़ा जाएगा। स्टेम सेल विशेषज्ञ डॉ. बीएस राजपूत इसमें अपनी सेवाएं देंगे।

हैलट के न्यूरो साइंस विभाग में प्रतिदिन औसत 40 मरीज सिर की चोट के भर्ती होते हैं। इनमें 10 रोगी गंभीर स्थिति में आते हैं। बहुत से रोगियों को सर्जरी के बाद दिक्कतें बनी रहती हैं। इनके मस्तिष्क का हिस्सा क्षतिग्रस्त रहता है। दवाओं से इसे ठीक करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे क्षतिग्रस्त हिस्सों को स्टेम सेल थेरेपी से सुधारा जाएगा।

डॉ. बीएस राजपूत ने बताया कि स्टेम सेल थेरेपी से कई रोगी ठीक हो गए हैं, जिनका मस्तिष्क ‘वेजीटेटिव’ हो गया था। ऐसे रोगियों को मृत समान ही माना जाता है। स्टेम सेल थेरेपी से उनकी स्थिति में सुधार आया, वे बात करने लगे और चीजों को समझने लगे। गंभीर मस्तिष्क की चोट के रोगियों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 

स्पाइनल कॉर्ड में भी इस्तेमाल

स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने में भी स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल होता है। हाईवे पर होने वाले हादसों में बहुत से रोगियों को स्पाइनल कॉर्ड की समस्या हो जाती है। इसके अलावा हैलट की ओपीडी में ऐसे चार-पांच रोगी हर सप्ताह आते हैं जिनकी स्पाइनल कॉर्ड, बाइक से फिसल कर गिरने से क्षतिग्रस्त हो जाती है। इन्हें न्यूरो की समस्या हो जाती है। न्यूरो साइंस के प्रमुख डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि स्पाइनल कॉर्ड में भी स्टेम सेल थेरेपी का लाभ मिलता है।

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