‘स्मॉग’ की मोटी चादर में लिपटा शहर ...
क्या है स्मॉग
उन्नाव। स्मॉग व प्रदूषण के चलते शहर की हवा भी खतरनाक हो चली है। सोमवार को शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। प्रदूषण विभाग के डाटा के अनुसार सोमवार को शहर में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा 220 के स्तर पर पहुंच गई थी। जिससे लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी हुई। अस्पताल में भी ऐसे मरीजों की संख्या अधिक रही जिन्हें प्रदूषण की वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। चिकित्सकों ने आंखों में चश्मा लगाने व मास्क पहनने की हिदायत दी है। बीते तीन दिनों से वातावरण में धुंध की चादर छाई हुई थी। हालांकि सोमवार सुबह धुंध का घनत्व अधिक बढ़ गया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 220 रिकार्ड किया गया था। दिवाली में पटाखों से हुए प्रदूषण से भी यह अधिक था। स्मॉग व प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई। अधिक समय तक खुले में रहने से आंखों में जलन की शिकायत भी आम रही।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी विमल कुमार ने बताया कि धुआं और कोहरे से मिलकर स्मॉग बनता है। जिसे फॉग या धुआं में कालिख कणों के मिले होने से भी जाना जाता है। धूल और जल वाष्प के साथ विभिन्न गैसों का मिश्रण जो कोहरे में मौजूद होता है उससे सांस लेने में तकलीफ होती है व आंखों में जलन होने लगती है।
कार्बन व सल्फर की बढ़ी मात्रा
सोमवार को शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 220 रिकार्ड किया गया। जिसमें सबसे ज्यादा जहर कार्बन मोनोक्साइड और पर्टिकुलेट मैटर 2.5 कणों ने घोला। जिसमें कार्बन मोनोक्साइड की मात्रा अधिकतम स्तर यानी 130 तक पहुंच गई। यही हाल नाइट्रोजन डाइक्साइड का रहा जो 97 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक रहा। पीएम कणों की मात्रा सामान्य से तीन गुना ज्यादा दर्ज की गई।
नगर पालिका ने कराया पानी का छिड़काव
धूल से पटी सड़कों पर सोमवार को नगर पालिका ने पानी का छिड़काव कराया। सदर कोतवाली के आसपास सड़क धूल के पटी पड़ी थी। यह धूल उड़कर हवा को और प्रदूषित कर रही थी। ऐसे में नगर पालिका ने अभियान चलाकर सड़क पर पानी का छिड़काव कराया।
बच्चों को बढ़ी परेशानी
प्रदूषण से नाक की एलर्जी और जलन की परेशानी हो रही है। दिवाली से अब तक पीड़ित मरीजों की संख्या 35 फीसदी तक बढ़ गई है। मरीजों में अधिक बच्चे और कामकाजी लोग हैं। फिजीशियन डा. आलोक पांडेय ने बताया कि बार बार छींक आना, नाक कान में खुजली, गले में खराब, सूखी खांसी के मरीजों की संख्या अधिक रही। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के अति सूक्ष्म कण नाक में पहुंचकर एलर्जी कर रहे हैं। इससे सिर दर्द व खुजली की शिकायत बढ़ जाती है। आंखों में जलन, लाल की समस्या वाले मरीज बढ़ गए हैं।