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बाईपास निर्माण में घोटाला ...

काम फिर भी अधूरा

बाईपास निर्माण में मिट्टी के काम में करीब 14 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इसमें सवा 6 करोड़ की मिट्टी का सवा 20 करोड़ रुपये भुगतान कर दिया गया। इसका खुलासा पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता के निरीक्षण में हुआ। मुख्य अभियंता ने संबंधित अधिशासी अभियंता को सभी अभिलेख प्रस्तुत करने और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध आरोप पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं।
बसपा सरकार में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने फोरलेन बाईपास रोड स्वीकृत किया था। बाईपास के द्वितीय भाग बांदा-नरैनी-कालिंजर मार्ग पर किलोमीटर नंबर 8 से झांसी-मिर्जापुर हाईवे के किलोमीटर नंबर 207 तक बाईपास बनना था। 10 जून 2011 को शासन ने 10.70 किलोमीटर फोरलेन सड़क के लिए 44 करोड़ 9 लाख 27 हजार रुपये स्वीकृत किए थे। वर्ष 2011-12 में इसका कार्य शुरू हुआ। पीडब्ल्यूडी ने इसमें 42 करोड़ (95 फीसदी) रुपये खर्च कर डाले। इसके बाद भी दो किमी सड़क अधूरी है। शेष दो किलोमीटर में मिट्टी का काम दिखाकर पूरी धनराशि निकाल ली गई।

25 फरवरी को पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश पांडेय ने बाईपास का निरीक्षण किया। उनके साथ एई और जेई भी थे। मुख्य अभियंता ने निर्माण खंड-एक के अधिशासी अभियंता को भेजे पत्र में कहा है कि मिट्टी के काम में 5 से 6 गुना ज्यादा भुगतान हुआ है। डेढ़ मीटर गहरी और 8 से 10 मीटर लंबी खुदाई में एस्टीमेट से ज्यादा खर्च दिखाया गया है। एस्टीमेट/एग्रीमेंट में मिट्टी की लागत 6.25 करोड़ थी, जबकि भुगतान 20.25 करोड़ का किया गया है।

अधिशासी अभियंता को निर्देश दिए कि कराए सभी कामों के खर्च का ब्योरा उपलब्ध करा दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासन एवं अपील नियमावली के अनुसार आरोपपत्र गठित कर प्रेषित करें। मुख्य अभियंता ने अपने इस पत्र/रिपोर्ट को पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष प्रमुख अभियंता (विकास), लखनऊ को भेजकर अनुरोध किया है कि स्थलीय और अभिलेखों की जांच के लिए मुख्यालय स्तर से उच्च स्तरीय टीम गठित कर जांच करवाई जाए। मुख्य अभियंता ने बांदा के अधीक्षण अभियंता को भी खुद जांच करने और दोषियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव/संस्तुति भेजने के निर्देश दिए हैं।

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