35 सालों तक पढ़ाने वाले प्रोफेसर सुधीर जैन को भी पद्मश्री ...
आईआईटी से रिटायर्ड प्रोफेसर एचसी वर्मा
कानपुर आईआईटी से रिटायर्ड प्रोफेसर एचसी वर्मा को शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। भौतिक विज्ञान, गणित और समाजिक कार्यों में उनका अतुल्नीय सहयोग रहा है। प्रोफेसर हरिशचंद्र वर्मा ने 45 लेक्चर वीडियो बनाए हैं।
जिससे छात्र छात्राएं विज्ञान को आसानी से समझ सकें। उनके 600 से अधिक भौतिक विज्ञान के ऐसे परीक्षण व प्रयोग हैं, जिनके जरिये स्कूल कॉलेजों के शिक्षक छात्र छात्राओं को आसानी से विज्ञान पढ़ा और समझा रहे हैं। आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने प्रोफेसर वर्मा का नाम भौतिक विज्ञान में उत्कृष्ट योगदान के लिए नाम पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने पर बधाई दी है।
सेवानिवृत्त होने के बाद भौतिकविद् प्रोफेसर वर्मा आईआईटी में एडजेंट फैकल्टी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रोफेसर वर्मा की किताबें पढ़कर न जाने कितने छात्र छात्राएं वैज्ञानिक, डॉक्टर व इंजीनियर बन चुके हैं। शायद ही कोई छात्र हो जो प्रोफेसर वर्मा की पुस्तक ‘कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स’ के बारे में न जानता हो।
उन्होंने स्कूली छात्रों के दिलों से भौतिक विज्ञान का डर निकालने के लिए कई छोटे छोटे परीक्षण करने बाद ऐसे मॉडल बनाए, जिनसे छात्र खेल खेल में भौतिकी सीख सकते हैं। उनके द्वारा लिखी किताबें दुनिया भर में पढ़ी जाती हैं। उन्होंने स्कूल, कॉलेज व इंडस्ट्री में काम करने वालों के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार किया, जिसमें यूएस, यूके, फ्रांस, जर्मनी व कनाडा समेत अन्य देशों के अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है।
आईआईटी कानपुर से एमएससी करने वाले प्रोफेसर वर्मा ने 1994 में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर यहां ज्वाइन किया था। उन्होंने यहां पर नैनो फैब्रिकेशन, न्यूक्लिअर फिजिक्स, नैनो साइज मैगनेटिक मेटीरियल के क्षेत्र में कई शोध किए। प्रो. वर्मा ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने व उन्हें स्कूल तक पहुंचाने के लिए एनजीओ केमाध्यम से शिक्षा सोपान कार्यक्रम की भी शुरुआत की। इससे पहले शहर में साहित्यकार डॉ. गिरिराज किशोर व चर्म उद्यमी डॉ. इरशाद मिर्जा को यह सम्मान प्रदान किया जा चुका है।
प्रोफेसर सुधीर जैन को भी पद्मश्री
कानपुर आईआईटी में 35 साल तक छात्रों को भूकंप प्रौद्योगिकी के विषय में पढ़ाने वाले प्रो. सुधीर कुमार जैन को भी पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। 1984 से 2019 तक आईआईटी में पढ़ाने के बाद वह वर्तमान में आइआइटी गांधीनगर में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वह यहां के संस्थापक निदेशक के अलावा लगातार तीसरी बार आईआईटी गांधीनगर के निदेशक बने हैं।
यूएस के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर व डॉक्टरल की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रो. जैन ‘न्यूजीलैंड सोसाइटी फॉर अर्थक्वेक इंजीनियरिंग’ के लाइफटाइम सदस्य हैं। उन्होंने ऐसा यंत्र बनाया है जो सिस्मिक जोन व वहां पर भविष्य में होने वाले भूकंप के खतरे के बारे में बता सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में उनका भी योगदान सराहनीय रहा है।
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