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चीन के साइबर ठग खाते से छीन रहे रकम ...

छात्रों, बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत

कानपुर:साइबर ठगी के कुछ मामलों में जांच के बाद यह बात सामने आई है कि चीन से यहां के लोगों के खातों से रकम उड़ाई जा रही है। इनमें भारतीय मूल के कुछ छात्र भी शामिल हैं, जो वहां पढ़ाई के लिए गए हुए हैं। साइबर ठगी में कई बैंककर्मी भी शामिल हैं, जो ठगों को बैंक खाताधारकों को ब्यौरा उपलब्ध करा रहे हैं।
कानपुर में साइबर ठगी के तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों को खाताधारकों के बारे में पूरी जानकारी पहले से ही थी। हरियाणा और राजस्थान से कुछ शातिर पकड़े गए, तो यह पता चला कि वे चीन में बैठे भारतीय मूल के कुछ छात्रों और इंजीनियरों को बैंक खाताधारकों का ब्यौरा उपलब्ध कराते थे।

इसके बाद वे खातों से रकम उड़ाते थे। कुल रकम का 50 फीसदी हिस्सा यहां के लोगों को मिलता था।  राजस्थान, हरियाणा  झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के युवक यहां से ब्यौरा चीन भेज रहे हैं।

तीन घंटे के भीतर शिकायत करके बचा सकते हैं रकम

साइबर सेल के नोडल अफसर एसपी क्राइम राजेश कुमार यादव का कहना है कि ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर तीन घंटे के भीतर साइबर सेल को सूचना देकर रकम बचाई जा सकती है। साइबर ठग पहले रकम को किसी ऑनलाइन वॉलेट में ट्रांसफर करते हैं। वॉलेट वाली कंपनी को तीन घंटे के भीतर ई-मेल करने पर वह रुपये निकालने पर प्रतिबंध लगा देती है।

इसके लिए पीड़ित साइबर क्राइम सेल के 7839863374 पर संपर्क कर सकते हैं। ओटीपी या पिन नंबर लेकर हुई ठगी के मामलों में तीन दिन के अंदर बैंक को सूचना देने पर रुपये वापस मिल सकते हैं। चीन से साइबर ठगी होने की बात का पता चला है। पड़ताल की जा रही है।

 ईनाम निकलने के झांसे में न आएं

साइबर ठग टेलीकॉम, टावर या सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के कर्मचारी बनकर कॉल करते हैं। फिर ईनाम निकलने की बात कहकर झांसा देते हैं, फिर कुछ रुपये किसी खाते में जमा करा लेते हैं। इसके बाद अपना फोन नंबर बंद कर लेते हैं।

केवाईसी अपडेट कराने के लिए कॉल आए तो न करें बात

केवाईसी अपडेट कराने का झांसा देकर ठगी के मामले आजकल सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसमें जालसाज पहले पेटीएम या बैंक खाते में केवाईसी अपडेट करवाने का मैसेज भेजते हैं। मैसेज में एक नंबर भेजकर उस पर संपर्क करने को कहा जाता है। इस नंबर पर कॉल करने पर किसी एप का लिंक भेजा जाता है। लिंक के जरिये एक रुपये का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करवाया जाता है। रुपया ट्रांसफर करते ही जालसाज आपका खाता खाली कर देते हैं।

यह एप डाउनलोड न करें

एनी डेस्क, क्रोम रिमोट डेस्क, माइक्रोसाफ्ट रिमोट डेस्क, स्प्लैसटॉप रिमोट पर्सनल डेस्क, टीम व्यूवर और क्विक सपोर्ट ऐसे एप हैं, जिन्हें डाउनलोड करने के लिए साइबर ठग इनके लिंक फोन पर भेजते हैं। यह एप प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध हैं। इन्हें डाउनलोड करके खोलते ही साइबर ठगों के पास फोन का पूरा डेटा पहुंच जाता है। इसके बाद वे खाते से रकम उड़ा लेते हैं।

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