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जब्बार अकरम को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार...... ...

उन्नाव के जब्बार को रंगमंच अभिनय पुरस्कार

उन्नाव। रंगमंच पर अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले उन्नाव के रंगकर्मी जब्बार अकरम को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने अकादमी पुरस्कार से नवाजा है। अकादमी उन्हें प्रशस्तिपत्र और नगद पुरस्कार भेंट करेगी बीते 28 साल से रंगमंच में पूरी शिद्दत के साथ अपनी अभिनय कला का प्रदर्शन कर रहे शहर के पुलिस लाइन निवासी रगंकर्मी जब्बार अकरम को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने रंगमंच अभिनय अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित किया है। जब्बार ने वर्ष 2017 में इसके लिए आवेदन किया था। वर्ष 1989 में रंगमंच से जुड़े जब्बार अकरम ने 1991 में शहर के निराला प्रेक्षागृह में अपने पहले नाटक ‘अमीबा’ में अभियन किया था। 
इन्होंने ‘बकरी’ नाटक के उन्नाव, लखनऊ, कानपुर, आगरा, दिल्ली सहित अन्य स्थानों पर 25 से ज्यादा शो किए। लखनऊ महोत्सव में जब्बार ने ‘मिर्जा की बाइसिकल’, ‘हमने तो सुना है’ का नाट्य मंचन और निर्देशन भी किया। उन्होंने बताया कि रंगमंच के क्षेत्र में विजय पंडित उनके गुरु हैं। उन्होंने अलोपी वर्मा (एनएसडी) की रंगमंच कार्यशाला से प्रशिक्षण लेकर अपनी कला को और निखारा। जब्बार अकरम ने बताया कि 2018 में उन्होंने ‘लड़की है तो क्या हुआ’ नाटक लिखा है। संभागीय नाट्य महोत्सव में 22 फरवरी 2019 को बांदा जिले में हुआ था। इस नाटक में समाज की उस कुरीति पर कटाक्ष किया गया है जिसमें बच्चा न होने पर परिवार के लोग महिला में ही कमी बताकर पुरुष का बचाव करते हैं। इसके अलावा ‘वाह रे शहर’ में अपने दोस्त से मिलने आए गांव के सीधे साधे ग्रामीण भोलाराम को शहर में कुछ लोग उसके सीधेपन का फायदा उठाकर उसकी किडनी निकाल लेते हैं। उन्होंने जांच पड़ताल, पुरुष, आखिरकार, जोंक, राजा का बाजा सहित 50 से ज्यादा नाटकों में मंचन किया है। फिल्मों में बुलेट राजा, मिलन टॉकीज, फैमिली आफ ठाकुरगंज, रेड, मरुधर एक्सप्रेस शामिल हैं। कई टीवी शो में भी जब्बार ने अभियन किया है।

आर्ट पेंटिंग में भी है महारत

जब्बार अकरम आर्ट पेंटिंग से अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। पेंट और ब्रश से साइन बोर्ड, नेम प्लेट, बैनर और वॉल पेंटिंग लिखने वाले जब्बार की इस कला में भी काफी गहरी पकड़ है। हालांकि फ्लैक्स प्रिंटिंग के चलन ने उनका काम भी मंदा है।

 

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