बेटे ने दोस्त के साथ मिलकर की थी पिता की हत्या ...
खोजी कुत्ता आते ही मौके से खिसक गया था पूरन
कानपुर देहात। कहिंजरी के आरबीएस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में चपरासी रामपाल का कत्ल उसके दिव्यांग बेटे ने दोस्त के साथ मिलकर किया था। पिता छोटे भाई की मदद करता था और आरोपी की अनदेखी। इससे नाराज बड़े बेटे ने दोस्त के साथ पिता की हत्या की साजिश रची। फिर मौका पाकर दोनों ने मिलकर रामपाल का कत्ल कर दिया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर सोमवार को घटना का खुलासा कर दिया। आरोपियों के पास वारदात में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली।
भौथरी निवासी रामपाल यादव (59) कहिंजरी के आरबीएस उच्चतर माध्यमिक स्कूल में चपरासी था। रात में रखवाली के लिए वह कालेज में ही रुकता था। 14 नवंबर की रात भी वह स्कूल में ही रुका था, तभी उसकी धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। मामले में रामपाल के छोटे बेटे नरवीर ने अज्ञात लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सोमवार को घटना का खुलासा करते एसपी अनुराग वत्स ने बताया कि रामपाल छोटे बेटे नरवीर की आर्थिक मदद करता था। बड़े दिव्यांग बेटे पूरन को रुपये नहीं देता था। दीपावली के पहले रामपाल ने नरवीर को 62 हजार रुपये दिए थे। दीपावली के बाद पूरन दोस्त सडनपुर के महेश कुमार के साथ जाकर पांच सौ रुपये मांगे थे। तब रामपाल ने उसे गाली देकर भगा दिया था। इससे पूरन नाराज था। इसके बाद उसने दोस्त महेश के साथ हत्या की साजिश रची। पिता की हत्या से पहले उसने दोस्त के साथ मिलकर शराब पी। इसके बाद रात में पूरन दोस्त महेश के साथ विद्यालय पहुंचा। वहां कुल्हाड़ी से वार करके पिता का कत्ल कर दिया। उसे उम्मीद थी कि दिव्यांग होने की वजह से उस पर कोई शक नहीं करेगा। वहीं उसे यह भी उम्मीद थी कि बड़े व दिव्यांग होने की वजह की वजह से उसे पिता की जगह सरकारी नौकरी भी मिल जाएगी। एसपी ने रामपाल की हत्या का खुलासा करने वाले थाना प्रभारी तुलसीराम पांडेय व उनकी टीम को प्रशस्ति पत्र देने की बात कही है।
पिता की हत्या के मुख्य आरोपी पूरन की महेश कुमार से गहरी दोस्ती है। वह अक्सर महेश के घर में ही रुकता था। दोनो बकरी पालन करते थे। साथ मिलकर बकरियां चराते थे। घटना से वाले दिन पूरन सुबह 7 बजे ही महेश के घर पहुंच गया था। पहले दोपहर में शराब पी थी। इसके बाद दोबारा कहिंजरी जाकर शराब और मीट लेकर आए थे। मीट बनाने खाने के दौरान दोनों ने शराब पी थी। पिता की अनदेखी से पूरन खफा रहता था। वह अविवाहित था। घर से अलग झोपड़ी डालकर रहता था। बकरियां बेचकर होने वाली आमदनी भी घर में किसी को नहीं देता था। इससे रामपाल भी पूरन से खफा रहता था। पुलिस के अनुसार पूरन के शराब पीने की वजह से कई बार रामपाल से विवाद हुआ था।
पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि पूरन दोस्त सडनपुर के महेश के साथ मिलकर अच्छा जीवन जीने के सपने देख रहा था। दोनो अशिक्षित हैं। पूरन का पिता रामपाल सहायता प्राप्त स्कूल में चपरासी था। वह अगले वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले था। पूरन ने महेश के साथ साजिश रची थी कि अगर वह पिता की हत्या कर देगा, तो उसे उनकी जगह सरकारी नौकरी भी मिल सकती है। इससे जीवन का गुजारा आराम से होने लगेगा। वहीं पिता के जिंदा रहते उसे फूटी कौड़ी मिलने की उम्मीद नहीं थी। उसे लगा था कि पिता की हत्या के बाद गांव के लोगों की उसके प्रति सहानुभूति होगी। लोगों के कहने पर दिव्यांग होने की वजह से उसे नौकरी मिल जाएगी।
वारदात के बाद एसपी अनुराग वत्स व एएसपी अनूप कुमार मौके पर पहुंचे थे। दोनों अफसरों ने घटना के बारे रामपाल के दोनों बेटों से पूछताछ की थी। उसी दौरान पुलिस को पूरन शक हो गया था। वहीं हत्यारों का सुराग लगाने के लिए खोजी कुत्ता बुलाया गया था। तब पूरन मौके से खिसक गया था। इस पर भी वह अफसरों की नजर में चढ़ गया था। एसपी ने पुलिस टीम के साथ घटना में मदद करने वाले डॉग स्क्वायड प्रभारी को भी प्रशस्ति पत्र देने की बात कही है।
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