डीएमएसआरडीई में तैयार किया केवल 50 किलो का टेंट ...
नई तकनीक का फिल्टर रोकेगा वायु प्रदूषण
अब सैनिकों को तंबू तैयार करने में केवल दस मिनट का समय लगेगा। हमारी टीम ने हाई स्ट्रेंथ नॉयलान सिक्सिस (फैब्रिक) से सेना केलिए इंफ्राडेबल नाम का टेंट तैयार किया है जो पूरी तरह कपड़े से बना है। पोल तक कपड़े के हैं। 10 मिनट कंप्रेशर से हवा भरने पर यह तैयार हो जाता है। इसका वजन केवल 50 किलो है जो कि अन्य तंबुओं की तुलना में 150 किलो कम है।
अमूमन सैनिकों को तंबू तैयार करने में 16 से 20 घंटे लग जाते हैं। यह बात डिफेंस मैटेरियल एंड स्टोर्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिसमेंट (डीएमएसआरडीई) कानपुर के सहायक निदेशक डॉ. बिश्व रंजन दास ने बताई। उप्र वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआई) की ओर से होटल रॉयल क्लिफ में छात्रों एवं शिक्षकों को टेक्सटाइल के क्षेत्र की नई तकनीकाें से रूबरू कराने के लिए सोमवार को एडवांस इन टेक्टाइल मैटेरियल एंड प्रोसेस विषय पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस शुरू हुई।
उद्घाटन मुख्य अतिथि सीएसजेएसयू की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता, विशिष्ट अतिथि टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ लाइब्रिक, चेक रिपब्लिक के प्रो. जिरी मिलित्की एवं संस्थान के निदेशक प्रो. मुकेश कुमार सिंह ने किया। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने शोध पत्रों एवं पीपीटी के माध्यम से टेक्सटाइल की नई तकनीकें बताईं।
डॉ. दास ने बताया कि हम लोग एडवांस डिफेस प्रोटेक्टिव क्लाथिंग पर काम कर रहे हैं। ऐसे क्षेत्र जहां तापमान -40 डिग्री कम हो जाता है, वहां सैनिकों को तीन लेयर क्लाथिंग का प्रयोग करना पड़ता है। ऐसे में पॉलिस्टर लाइक्रा को मिलाकर एक नया कपड़ा तैयार किया गया है जो तीन लेयर क्लाथिंग की अपेक्षा ज्यादा कारगर और टिकाऊ है।
नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए प्रो. अब्दुल फतेह, प्रो. राजेश मिश्रा, चेक रिपब्लिक के प्रो. माइकल पेट्रेलिब्रिक, आईआईटी दिल्ली के प्रो. बीके बहेरा, आईआईटी रुड़की के प्रो. विकास मोहंती ने विभिन्न जानकारियां दीं। इस दौरान छात्रों ने शोधों पर पोस्टर पेपर प्रजेंटेशन भी किया। अतिथियों ने एटीएपी 2019 की एब्सट्रैक्ट बुक का विमोचन भी किया। नीलू कंबो, पीयूष बंसल, डॉ. सुप्रियो चक्रवर्ती, विवेक मणि त्रिपाठी, डॉ. शुभांकर, सीमा शुक्ला, प्रो. एके पात्रा, प्रो. आभा भार्गव, प्रो. प्रमोद कुमार आदि मौजूद रहे ।
आईआईटी दिल्ली के प्रो. एसएम इश्तियाक ने बताया कि देश इस समय वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए हमारी टीम फैब्रिक और नई तकनीक से एक फिल्टर तैयार कर रहे हैं। इस फिल्टर के इस्तेमाल से प्रेशर ड्रॉप कम होगा तो इंजन की कार्यक्षमता बढ़ेगी और एवरेज भी बढ़ेगा। साथ ही वाहनों से निकलने वाले धुएं पर भी यह 50 प्रतिशत लगाम कसेगा। बताया कि आटोमेटेड गाइडर व्हीकल भी बनाया गया है जो उद्योगों में तैयार कच्चे माल को एक मशीन से दूसरी मशीन तक ले जाने का कम करेगा।
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