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वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा शहर का सबसे बड़ा अस्पताल ...

आफत में मरीजों की जान

कानपुर में उर्सला इमरजेंसी के बाहर मंगलवार दोपहर ढाई बजे नवाबगंज की फूलमती (74) के परिजन चिल्लाते रहे ‘अम्मा को बचाओ, कहां मिलेगा वेंटिलेटर बताओ’। लेकिन वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं हो पाई। बुखार से फूलमती की हालत गंभीर हो गई। सिविल लाइंस के एक निजी अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की सलाह दी गई।
परिजन उन्हें लेकर उर्सला पहुंचे लेकिन यहां के एक वेंटिलेटर पर पहले से ही मरीज भर्ती था। स्वास्थ्य कर्मियों ने जब वेंटिलेटर न होने की जानकारी दी तो परिजन बिलख पड़े। इसके बाद निजी एंबुलेंस से मरीज को लेकर रवाना हो गए।

उर्सला में ऐसा नजारा आम हो गया है। डेंगू से हो रहीं मौतों के बीच उर्सला से पांच-छह मरीज रोज लौट रहे हैं। यहां के पांच वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। किसी तरह मरम्मत के दम पर एक वेंटिलेटर उपयोग में है। बीते दिनों अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने तुरंत वेंटिलेटर खरीद की प्रक्रिया शुरू कराने की बात कही थी।

लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। उर्सला प्रबंधन ने मंगलवार को वेंटिलेटर खरीद के संबंध में शासन को एक बार फिर रिमाइंडर भेजा। उर्सला में आसपास के जिलों तक से मरीज आते हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि वेंटिलेटर न होने से दिक्कत आ रही है। इसके लिए शासन को रिमाइंडर भेजा गया है।

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