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केंद्र एवं प्रदेश सरकार के प्रयासों पर फेरा जा रहा है पानी ...

सार

कानपुर:- लॉक डाउन के चलते ग़रीब मज़दूरों सड़क के किनारे जीवन यापन करने वालों की हर बीतते दिन के साथ बढ़ती जा रही है दुश्वारियां, खाने पीने से लेकर विभिन्न दैनिक सुविधाओं के लिए दूसरों पर निर्भर यह वर्ग पहुँच रहा है हाशिए पर। केंद्र एवं प्रदेश सरकारों के अथक प्रयासों एवं जनकल्याण सेवाओं के लाभ से वर्तमान समय मे भी वंचित है समाज का यह तपका जो प्रत्येक धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। निरंतर हो रही हैं ज़िम्मेदारों द्वारा देश के तेजस्वी प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के प्रतापी मुख्यमंत्री के निर्देशित आदेशों का उलंघन, हर संभव सहायता पहुँचाने के सख़्त आदेशों का हेल्प लाइन नंबर्स से लेकर थाना स्तर तक उड़ाया जा रहा है मुखौल मात्र आश्वासन तक रह गए है सीमित सभी संबंधित।

विस्तार

जहाँ एक और प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या सरकार के लिए चिंता का गंभीर विषय बनता जा रहा है, जिस पर केंद्र के साथ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बेहतर से बेहतर कार्य युद्ध स्तर पर करने का प्रयास दिनों रात कर रही है वही दूसरी ओर लॉक डाउन के चलते गरीबों दैनिक भत्ता भोगियों के हाल पस्त होते जा रहे है, सरकार के आदेशानुसार प्रशासन निरंतर प्रयास कर रहा है सब तक सुविधाओं एवं सहायता पहुँचाने की परंतु कही न कही प्रशासनिक तंत्र अपनी कार्यशैली के ढुलमुल रवैये से बाहर आने को तैयार नज़र नही आता प्रतीत हुआ। जहाँ एक और लॉक डाउन के आदेश के पालन को लेकर नगर प्रशासन अपनी कमर कस दिन रात मेहनत करता नजर आता है वही दूसरी और दिनांक 7/4/20 से आदेशित सम्पूर्ण लॉक डाउन के पहले ही दिन जनता को भूख से करने पड़े दो दो हाथ।

भारी संख्या में मज़दूरों बेसहारा भूखे सोने को विवश

बीते माह से चल रहे लॉक डाउन में प्रातः 6 बजे से 11 बजे तक की राहत को समाप्त कर कल से किये गए सम्पूर्ण लॉक डाउन के पहले दिन ही सैकड़ो की तादाद में वर्तमान समय मे सरकारी अनुदान एवं समाजसेवी संस्थाओं पर निर्भर गरीब मज़दूरों को सोना पड़ा भूखा। बताते चले प्रशासन द्वारा दैनिक क्रिया अनुसार भोजन की व्यवस्था की गई थी परंतु वह संख्या अनुसार प्रयाप्त नही थी जिस का मुख्य कारण सख़्ती के चलते समाज सेवी संस्थाओं एवं आम जनता द्वारा वितरण किये जा रहे भोजन का ज़रूरतमंदो तक न पहुँच पाना। पुलिस की सख़्ती के चलते छोटे छोटे समूहों द्वारा पहुचाई जा रही सहायता का न पहुँचना किसी के लिए भूखें सोने का कारण तो किसी के लिए सरकार के प्रकोप का विषय बनेगा।

एक्सप्रेस रोड से कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन तक भोजन की चाह में मायूसी भारी आंखों से सन्नाटे को चीरती हुईं इक्का दुक्का वाहन की आवाज़ को निहारती भूखी जनता की भूख और पीड़ा का विवरण शब्दों में कर पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा था। यह तो नगर के एक मुख्य भाग का अंश मात्र है, सम्पूर्ण महानगर में ऐसे लोगो की संख्या कितनी बड़ी और कितनी विकट है इस के आंकलन की हम मात्र कल्पना ही कर सकते।

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यूपी में अब तक 314 कोरोना पॉज़िटिव। 3 मार्च को मिला था यूपी में पहला संक्रमित,बीते 4 दिनों में सबसे अधिक बढ़ी संक्रमितों की संख्या। 61500 लोगों को चिन्हित कर संदेह के घेरे में रखा गया है।
यूपी के 10 टेस्टिंग लैबो में 1200 से 1500 की जा रही है जांचे। 6000 से अधिक आइसोलेशन एवं 12000 क्वारेंटाइन बेड उपलब्ध, सभी ज़िलों के लेवल वन हॉस्पिटल्स को किया जा चुका है एक्टिव, लेवल 2 स्तर के हॉस्पिटल्स को भी किया गया तैयार, लेवल थ्री के भी 6 अस्पताल हो चुके है तैयार। हर आपातकाल स्तिथि से लड़ने को प्रदेश सरकार कस चुकी है कमर। प्रधानमंत्री कल्याण पैकेज के अंतर्गत 70 करोड़ की सहायता के पैकेज की घोषणा। एक करोड़ 33 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त राशन एवं चावल वितरण। सरकार द्वारा प्रत्येक जिले को निर्देशित किया गया है कि कोरोना  संक्रमण के विरुद्ध हर संभव प्रयास किया जाए साथ ही जनता के हर वर्ग की आवश्यकता अनुसार बिना भेदभाव सहायता की जाए,जिस के लिए प्रदेश एवं ज़िला स्तर पर हेल्पलाइन नंबर भी शासन एवं प्रशासन की ओर से जारी किए गए है, किसी भी प्रकार की अनियमता एवं शिकायत प्राप्त होने पर तुरंत कार्यवाही के साफ आदेश मुख्यमंत्री मंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिये गए है साथ ही सभी धर्म गुरुओं समाजसेवियों जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गाणमान्य जनों के माध्यम से जनता से भी सहयोग की अपील सरकार एवं प्रशासन द्वारा की जा रही है। 

किस काम के हेल्प लाइन नंबर

प्रदेश सरकार एवं प्रशासन द्वारा जारी सहायता दूरभाष नंबर भी दिखे असहाय, 112 से लेकर 1070-76 हो या फिर क्षेत्रीय थाना एवं उससे संबंधित मात्र आश्वासन तक दिखे सीमित सब एक दूसरे पर नज़र आये निर्भर। बताते चले सूचना अनुसार रात्रि के 10 बजे से हमारी टीम द्वारा लोगो तक सहायता पहुँचाने की असफ़ल कोशिश की गई क्योंकि संख्या हमारी क्षमता से कई गुना अधिक थी, जिस का आंकलन करते ही हमारी टीम द्वारा रात्रि के 10:26 से देर रात 2 बजे तक निरंतर सभी संबंधित अधिकारियों हेल्प लाइन नंबर्स पर सम्पर्क कर सहायता का निवेदन किया जाता रहा जो कि मात्र कोरे आश्वासन तक ही सीमित रहा खबर लिखे जाने तक लोगो भूखे पेट सोने को विवश हो चुके थे साथ ही हमारी टीम का भी मनोबल लगभग टूट सा गया था। अब दोष किसका है किसका नही आने वाला दिन इन की भूख मिटाएगा यह गरीब फिर पेट पर पत्थर बाँध भूखा सो जाएगा यह तो ईश्वर ही जाने परंतु हम अपने चैनल के माध्यम से अपने सभी दर्शकों एवं प्रशासन से अनुरोध करते है जैसे भी संभव हो प्रयास करें कोरोना से चल रही लड़ाई में कही कोई भी ऐसा न रहे जो भूख के चलते ज़िंदगी की जंग हार जाए।

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