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ढूंढे नहीं मिल रहे नोटबंदी में अचानक करोड़पति हुए 40 लोग ...

पता तक नहीं, और खुल गया खाता

नोटबंदी के दौरान शहर के 40 अलग-अलग खातों में अचानक 5-10 करोड़ रुपये जमा किए गए। बाद में रकम अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर निकाल ली गई। जांच शुरू हुई तो दस्तावेजों  में दर्ज अधिकतर खाताधारकों के पते गलत निकले। आयकर विभाग के अफसर भी परेशान हैं कि कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है।
आयकर विभाग का कानपुर स्थित जांच निदेशालय नोटबंदी के बाद खातों में अप्रत्याशित जमा और निकासी के मामलों की गहनता से पड़ताल कर रहा है। अब तक कानपुर में पांच से 10 करोड़ रुपये तक की जमा-निकासी के 40 मामले सामने आए हैं, जबकि समूचे यूपी और उत्तराखंड में ऐसे मामलों की संख्या 174 है। 

ये सभी मामले फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने करीब एक साल पहले बैंकों से मिले ऑनलाइन डाटा की छंटनी के बाद चिह्नित किए थे। उसके बाद से जांच निदेशालय लगातार इन प्रकरणों की गहनता से पड़ताल कर रहा है। अधिकतर खाताधारकों के पते गलत मिले।

जिन खाताधारकों के पते सही मिले, उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन किया गया। उनमें से अधिकतर को यह भी नहीं पता था कि उनका बैंक खाता भी है। कुछ की दशा देखकर पता चल गया कि ये करोड़पति नहीं हो सकते। आयकर अफसर पूरा माजरा समझ चुके हैं कि नोटबंदी के दौरान दूसरे के पहचान पत्र का इस्तेमाल कर ये खाते खोले गए। 

बाद में इसी तरह के अन्य खातों में रकम भेजकर उसे निकाल लिया गया। आयकर अफसरों ने इस जांच में बैंकों को भी शामिल किया है। खाता खोले जाने के समय लिए गए दस्तावेज का सत्यापन कैसे किया गया इसकी पड़ताल की जा रही है। बैंकों से यह पूछा जा रहा है कि इतनी बड़ी रकम निकालने के लिए कौन आता था। 

जिन लोगों के नाम फर्जी खाते खुले होने की बात सामने आई उनसे जानकारी जुटाई जा रही है कि नोटबंदी के दौरान या उससे पहले वह किस प्रतिष्ठान में काम करते थे। प्रधान निदेशक अमरेंद्र कुमार का कहना है कि यह जांच बड़ी जटिल है। लेनदेन का कोई सीधा सुराग नहीं मिलने से अब कड़ी से कड़ी जोड़ी जा रही है।

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