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बीओबी के एप से नए ग्राहकों को जोड़ने पर रोक ...

बैंक कर्मचारियों-अफसरों को टारगेट 

कानपुर में टारगेट पूरा करने के चक्कर में बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के मोबाइल एप बॉब वर्ल्ड से कर्मचारियों द्वारा फर्जी लोगों को एप से जोड़े जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सख्त कदम उठाया है। आरबीआई ने नए ग्राहकों को इस एप से जोड़े जाने पर रोक लगा दी है। इससे पुराने ग्राहकों को तो कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन नए ग्राहक एप की सेवा का लाभ नहीं ले सकेंगे।

टारगेट के चक्कर में हुए फर्जीवाड़े का मुददा वी बैंकर्स ने सोशल मीडिया पर उठाया था। हालांकि तब बैंक प्रबंधन इस तरह के मामले से इन्कार कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ जोन समेत देशभर में बड़ी संख्या में लोगों के मोबाइल एप दूसरे मोबाइल नंबरों के जरिये डाउनलोड करवाए गए थे। दरअसल, कोरोना काल के दौरान सितंबर 2021 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बॉब वर्ल्ड नाम से नया मोबाइल एप लांच किया था।

बैंक कर्मचारियों-अफसरों को टारगेट भी दिए गए थे

इससे पहले दूसरा एप भी चल रहा था। नए एप की लांचिंग के साथ ही बैंक कर्मचारियों-अफसरों को टारगेट भी दिए गए थे। ऐसे में बैंक कर्मियों-अफसरों ने जिन शाखाओं में जो खाताधारक नहीं आ रहे थे या ऐसे खाताधारक जिनके खाते में कोई मोबाइल नंबर नहीं था। ऐसे ग्राहकों के खातों में बैंक के प्राइवेट गार्ड, कैजुअल लेबर आदि के मोबाइल नंबर को डालकर एप डाउनलोड करवा दिया गया।

खाते कई, नंबर एक

बैंक के मुख्य कार्यालय की ओर से देशभर की शाखाओं की एक लिस्ट जारी की गई। इसमें एक ही मोबाइल नंबर कई दर्जन खातों में पाया गया और तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया। इस लिस्ट के आने के बाद बैंक में हड़कंप मच गया। वी बैंकर्स के राष्ट्रीय महामंत्री आशीष मिश्रा ने बताया कि सोशल मीडिया पर बैंक की ई-मेल के जरिये इस मामले को उठाया गया था।

आरबीआई की कार्रवाई स्वागत योग्य है

इसमें टारगेट को पूरा करने के लिए खाताधारकों के बिना मोबाइल नंबर वाले खाते सहित उन खातों के भी नंबर बदल दिए गए, जिसमें पहले मोबाइल नंबर दर्ज थे। वी बैंकर्स के राष्ट्रीय संयोजक कमलेश चतुर्वेदी ने बताया कि संगठन लगातार बैंकिंग इंडस्ट्री में इस तरह के गलत कार्यप्रणाली के खिलाफ लगातार आवाज उठाता रहा है। आरबीआई की कार्रवाई स्वागत योग्य है।

टारगेट पूरा करने के लिए केवल पंजीकरण कराया गया

सूत्रों ने बताया कि मोबाइल एप डाउनलोड कराने के लिए पंजीकरण कराया जाना था। इसमें ऐसे खाताधारकों को चिह्नित किया गया, जिनके खाते में मोबाइल नंबर नहीं था या सालों से बैंकिंग लेन-देन नहीं था। इसके बाद ऐसे खातों में बैंक के संविदा कर्मचारी, गार्ड के मोबाइल नंबर अपडेट करके एप डाउनलोड करवा दिए। कई जगह खातों में नंबर हटाए भी गए, लेकिन बहुत से खातों में नंबर रह गए। सूत्रों ने बताया कि यह प्रक्रिया एप पंजीकरण तक ही थी। बैंकिंग लेन-देन से जुड़ी कोई जानकारी साझा नहीं की गई।

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