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शूटरों के संपर्क में था बाहुबली का रिश्तेदार महफूज ...

पिंटू सेंगर हत्याकांड: केस से नाम निकालने में पुलिस का बड़ा खेल

कानपुर-: पिंटू सेंगर हत्याकांड में एफआईआर से जिस बाहुबली नेता के रिश्तेदार महफूज अख्तर का नाम निकाला गया, शूटरों के संपर्क में था। तीन शूटरों से उसकी फोन पर बातचीत होती थी। इसमें से एक शूटर से सबसे अधिक बातचीत हुई। इसके बावजूद पुलिस ने उसका नाम केस से बाहर कर दिया।

महफूज का नाम निकालने में पूर्व चकेरी इंस्पेक्टर राम कुमार गुप्ता की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। पिंटू सेंगर की हत्या की एफआईआर में महफूज अख्तर नामजद आरोपी था। उसका भाई सउद अख्तर अभी भी आरोपी, फरार है। मगर विवेचना के दौरान महफूज का नाम पुलिस ने एफआईआर से बाहर कर दिया। दावा है कि हत्याकांड में उसका हाथ नहीं है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक महफूज अख्तर तीन शूटरों तनवीर बादशाह, फैसल और एहसान कुरैशी के संपर्क में था। तनवीर से उसकी फोन पर लगातार बातचीत होती थी। उसी के जरिये एहसान और फैसल से उसकी बात हुई। सूत्रों के मुताबिक ये बातचीत अप्रैल, मई और जून के महीने में हुई। आखिर में बीस जून को पिंटू को इन्हीं शूटरों ने मार डाला। इससे हत्याकांड में महफूज की बड़ी भूमिका सामने आ रही है। मगर पुलिस ने इससे इतर कार्रवाई की है। सवाल है कि आखिर पुलिस ने महफूज को बचाया क्यों। 

वीरेंद्र पाल साजिश की अहम कड़ी, फिर भी पुलिस ने की पैरवी

वीरेंद्र पाल पिंटू सेंगर के साथ मिलकर प्रॉपर्टी का काम करता था। जब इसको आरोपी सिपाही श्याम सुशील ने बताया कि पिंटू सेंगर की हत्या होने वाली है। तो वीरेंद्र ने स्नेहा डेवलपर्स नाम से एक फेक खाता खुलवाया। उसके बाद करीब एक करोड़ रुपये पार्टनरशिप वाले खाते से पार कर दिए। इस रकम से कोयला नगर में जमीन खरीदी और प्लाटिंग कर डाली। इसकी भनक लगी तो पिंटू इससे रकम वापस मांगी। इसको लेकर दोनों का विवाद चल रहा था। कुलमिलाकर वीरेंद्र भी साजिश में शामिल रहा। फिर भी पुलिस उसकी पैरवी में लग रही और जेल से बाहर निकालने की कोशिश की।

दलाल के जरिये मोटी रकम का हुआ लेनदेन

हत्याकांड में बड़ी रकम का लेनदेन हुआ है। इसकी हर तरफ चर्चा है। कुछ पुलिसकर्मी भी इस बारे में आपस में बातचीत कर रहे हैं। चकेरी के एक दलाल के जरिये पूरा खेल हुआ। उसने आरोपियों व पुलिस से सांठगांठ कर मामला सेट कराया।

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