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जनता में भय नही विश्वास संग सम्मान की डोर मज़बूत करे श्रीमान, ...

उत्तर प्रदेश अब उत्तम प्रदेश ,क्यो हँसी आई या गुस्सा,

यूपी को तो जैसे ग्रहण लगाया हो, निरंतर बढ़ता अपराध और आपराधिक वारदातों के चलते आम नागरिक घर और घर के बाहर महसूस करता स्वयं को असुरक्षित,प्रशासन की मुस्तैदी के बावजूद छोटे बड़े अपराधों की संख्या में हुई वृद्धि।

बात करते है कानून व्यवस्था की उत्तर प्रदेश अब उत्तम प्रदेश बन चुका है,क्यो हँसी आई या गुस्सा,मेरा विश्वास न हो तो विभिन्न माध्यमों जो कि सच कहने और बोलने की हिम्मत रखते है द्वारा आप स्वयं जान देख और पढ़ सकते है,उत्तर प्रदेश में शासन के सख़्त दिशानिर्देशों और प्रशासन की लाख मुस्तैदी के बावजूद अपराधियों के हौसले बुलंद है,अपराध का गिराफ़ रोज़ बढ़ता जा रहा है,लूट,हत्या,बलात्कार,साम्प्रदायिक तनाव,घरेलू हिंसा आदि जैसी भिन्न भिन्न घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है,शासन की सख्ती न ही प्रशासन का भय कुछ काम आ रहा है,सरकारी तंत्र अगर मुस्तैद है तो अपराधी अपना काम करने में निपुण।

इटावा से आई बुजुर्ग महिला का झकरकटी बस स्टैंड पर बैग पार

ताज़ा घटना का विवरण: 

कानपुर शहर की पुलिस चाहे जितनी मुस्तैदी की बात करें पर चोर उच्च्क्कौ पर कोई असर नही पड़ रहा।मामला कानपुर के झकरकटी बस स्टैंड का है जहां आज एक बुजुर्ग महिला जो इटावा से आई थी उसका समान पार कर दिया गया दर दर भटकती बुजुर्ग महिला का रो रोकर बुरा हाल था। बुजुर्ग महिला के अनुसार वह जैसे ही इटावा की बस से उतरकर रिक्शे में बैठी उसका सारा समान पार कर दिया गया। मेजर सलमान खान अन्तराष्ट्रीय बस स्टैंड के इर्द गिर्द चोरों और टप्पे बाजों की इन दिनों भरमार है जैसे ही किसी यात्री का ध्यान भटका उसका काम तमाम हुआ बस स्टैंड कों सुरक्षित बताने वाली पुलिस की पोल इसी से खुलती है के जो पुलिस इन दिनों वाहन चेकिंग के नाम पर मुस्तैद दिखती है वो ऎसे मामलों में कैसे ढीली व असहज दिखाई देती है। जबकि बस स्टैंड से लेकर टाट्मील तक इतना भीड़ भरा माहौल रहता है उसके बाद भी इस तरह की घटनायें पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान छोड़ती है।

प्रदेश का अति प्रमुख शहर कानपुर भी नही रहा अछूता,प्रशासन द्वारा निरंतर किये जा रहे अध एनकाउंटर, अपराधियो की धर पकड़ ,प्रत्येक थाने द्वारा गश्त,वाहन चेकिंग अभियान,चौराहों पर लगी तीसरी आंख सब अपराधियो की कारगुज़ारी के आगे बौने साबित हो रहे है,जिसके साक्ष्य वो पीड़ित है जो इन अपराधियो के कोप का शिकार बनते है,थाना स्तर पर क्षेत्र अनुसार कितनी प्रत्मिक रिपोर्ट दर्ज होती है सवाल का विषय वह कदापि नही है क्योंकि पुलिस को गुडवर्क भी तो दर्शना होता है,बात कढ़वी है पर 100% सत्य है,जनता की सुरक्षा के प्रति मुख्यमंत्री मंत्री और आला अधिकारियों के निदेशों का उलंघन किस प्रकार थाना स्तर पर किया जाता है और किसी भी घटना क्षेत्र का थाना गुडवर्क और साख बचाये रखने के लिए कैसे कैसे साम दंड भेद अपनाती है(दाम न लिखने का कारण आप स्वयं समझ सकते है) उदहारण अनगिनत है,एक छोटा सा उदहारण संछिप्त में आप की संतुष्टि के लिए फिर भी दे देता हूं,मोबाईल चोरी की रिपोर्ट,थाने में किसी प्रकार लिखी जाती है बताना आवश्यक नही है,फिर भी देश और समाज के एक ज़िम्मेदार नागरिक की अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी के नाते हम पुलिस प्रशासन से निवेदन करते है,वर्तमान में प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न अभियानों से जागरूक होकर जो भय निर्दोष जनता में नियमों के प्रति आया है,ठीक वैसा ही व्यापक भय अपराधियों चोर उच्चाको के मन में भी बैठ जाये तो जनता के मन से भय और पुलिस के प्रति निम्न होते विश्वास और सम्मान की डोर मज़बूत हो सकती है।

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