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बेहाल जनता,मोटी तनख्वाह,लापरवाही या निकम्मापन? ...

 

बेहाल जनता,मोटी तनख्वाह,लापरवाही या निकम्मापन?

नमामि गंगे बड़े पैमाने पर नालो की सफाई चमड़ा उद्योग पर मानक न पूर्ण करने पर ताला बंदी,क्या फायदा सिफर सब जस का तस एक बारिश सरकारी दावों,नगर निगम सब की पोल खुल गई,आधा कानपुर शहर जल मग्न बिजली गुल सड़क बिजली के खंभे पर खंभे पेड़ों पर क्या व्यवस्ता है,पर सवाल किससे  करे क्योकि सरकार और उसके आधीन सम्पूर्ण तंत्र तेरी टोपी उस के सर की माला का जाप कर सारे मसलो से सिर्फ पीछा छुड़ाती दिखती है,ताज़ा उदहारण 
कानपुर/ मेन जेके जूट मिल चौराहा जहाँ दो माह पूर्व से सीवर सफाई का काम चल रहा था,नाला साफ हुआ या नही या सरकारी दस्तावेज़ों के परे तो वहाँ रहने वाले एवं प्रतिदिन उस मार्ग से गुजरने वाले आप को बेहतर बात सकते है,वर्तमान स्थिति आज भी दर्दनीये है,सफाई का कार्य समाप्त होने के पश्चात भी न ही नाले के ढक्कन को बन्द किया और न सीवर चैम्बर को घेरे नगर निगम कि बैरेकेटिगं हटाई गई,किसी भी अप्रिय घटना को दावत देना।
 मेन कालपी रोड जेके जूट मिल चौराहा सैकड़ो की तादाद में वाहनों का आवागमन,आने जाने वाले राहगिरों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पडता हैं,है कोई जवाबदेह,नगर निगम अधिकारियों से पुछा जाये क्या तोड़ना खोलना गिरना मोटी तनख्वाह पाना और जनता को राम भरोसे मारने को छोड़ जाना,क्या मानक है कोई गाइड लाईन है कि नही,आपनें अपना काम करके कैसे नालो को खुला  छोड़ सकते है,किसी की जान माल का कोई महत्व है कि नही,घोर लापरवाही और निकम्मापन,अगर कोई घटना या एक्सीडेंट होता हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा,नगर निगम या तो अपने कार्य को पूर्णरूप से व्यवस्थित करें या संबंधित अधिकारी अपनी जवाबदेही सुन्निचित करे।

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