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क्या उत्तर प्रदेश में नही कोई सुरक्षित ...

आखिर कौन जिम्मेदार

क्या उत्तर प्रदेश में नही कोई सुरक्षित, क्यो धर्म जाति के आधार पर हो रहा दलित पिछड़ो का शोषण, आखिर कौन जिम्मेदार है ? कानपुर देहात थाना अकबरपुर मगता करारी गॉव की घटना जहाँ उच्च जाति द्वारा क्या महिलाएं क्या बच्चे क्या पुरुष सब पर किया गया अत्याचार।

21 वी सदी के भारत में भी नही बदली दलित पिछड़ो की दशा। संविधान के अनुसार सब को एक सामान्य आज़ादी प्रत्येक क्षेत्र में परंतु आज भी देश के विभिन्न प्रान्तों में किया जाता है समाज के ठेकेदारों द्वारा छोटी बड़ी जाति के आधार पर दुर्व्यवहार, कही मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी कही पीने के पानी का बटवारा तो कही शादी ब्याह पर उच्च जाति द्वारा संविधान एवं मानवता के विपरीत अड़ंगा लगाना। ईश्वर के द्वारा सबकी एक समान रचना के विपरीत मानव द्वारा धर्म जाति उच्च नीच के आधार पर संकरीं मानसिकता का नग नाच देश की पिछड़ी जाति में धीरे धीरे आक्रोश को ज्वालामुखी का रूप देने लगा है। जो देश प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टियों से सवाल करते नज़र आए क्या यही है सब का साथ सबका विकास और टूटता विश्वास।

आज देश जिस दिशा में जा रहा है, वह भविष्य में समाज को खण्डित कर देश के संविधान एवं दुनिया के सबसे विशाल लोकतंत्र पर कई प्रश्न खड़े कर रहा है। जिस प्रकार धर्म जाति ऊँच नीच लिंग भेद मान्यताओं पर आधारित अराजकता की आड़ ले समाज के तथाकथित ठेकेदारों द्वारा अपनी इच्छानुसार समाज पर बंदिशे लगाना पुनः प्रारम्भ कर दी है वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक एवं भयावक है जिस के परिणाम अहितकारी है।

घटना

उत्तर प्रदेश :कानपुर देहात के अकबरपुर थाना अंतर्गत गजनेर मंगता करारी गाँव जहाँ तथाकथित ऊँच बिरादरी के लोगो द्वारा पिछड़ी जाति के लोगो पर जमकर अत्याचार किया गया जो जहाँ मिला उसको वहाँ बर्बरता पूर्वक मारा गया किसी के साथ कोई दया नही क्या बच्चें बालिकाएं महिलाएं पुरुष सब को बेहरहमी से पीट पीट कर मरणासन्न कर छोड़ दिया गया और प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहा परतक्षयदर्शियों अनुसार, उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया। महिलाओं के संग अभ्रता कर उनके वस्त्र फाड़ दिए गए। बच्चों को स्कूलों में न पढ़ने देने की चेतावनी भी दी गई, मात्र इस लिए की ऊँच जाति के रोकने पर भी गाँव के दलित समाज द्वारा महावीर जयंती के अवसर पर कथा का आयोजन किया गया बाबा भीम राव अम्बेडकर के बैनर पोस्टर लगाए गए। किसने दिया किसी भी मनुष्य को यह अधिकार कहाँ से आई किसी समाज में इतनी कट्टरता जो मनुष्य को मनुष्य न समझें देश के संविधान का आदर न करे जन मानस द्वारा चुनी गई सरकार एवं उसके नीचे कार्य करने वाले प्रशासन का भी नही कोई भय। क्या प्रदेश में कानून राज समाप्त हो गया है, शासन मात्र वोट बैंक की राजनीति तक सीमित हो समाज के ऐसे कुंठित मानसिकता के राक्षसों के समक्ष नतमस्तक हो गया है। सवाल अनेक है पर उत्तर एक है आज अगर हम नही जागे तो कल सवेरा तो होगा पर बहुत अंधेरी काली रात के पश्चात जिस का भयावक रूप हम अब प्रतिदिन देश प्रदेश में कही न कही देख रहे है।

पीड़ितों अनुसार पुलिस को सूचना दी गई रही परंतु कोई भी कार्यवाही नही हुई जिस के चलते उन पर सुनियोजित तरीके से हमला किया गया। जिस की तहरीर अब अकबरपुर कोतवाली में काफी दबाव के पश्चात लिखी गई है साथ ही सूत्रों अनुसार 5 से 6 लोगो की गिरफ्तारी की भी सूचना है जिन के नाम अभी प्रशासन द्वारा उजागर नही किये गए है।

घायलों में अधिकतर महिलाएं एवं बुज़ुर्ग है। एक बालक कुछ युवतियां भी कानपुर के उर्सला अस्पताल में भर्ती है साथ ही कुछ पुरुष है सूत्रों अनुसार अकबरपुर ज़िला अस्पताल में भी दर्जन से अधिक घायलो का उपचार चल रहा है। अस्पताल प्रशासन द्वारा प्रात्मिक उपचार उपलब्ध करा दिया गया था। समाचार लिखे जाने तक कानपुर नगर प्रशासन की ओर से कोई भी व्यक्ति घायलो से मिलने नही पहुँचा है साथ है अभी तक घायलो का मेडिकल भी नही हुआ है ।

आज दुनिया चाँद के आगे निकल चुकी है। मानव ब्रह्मांड में ईश्वर की सर्वोत्तम कलाकृति जो कि कोई भी असंभव कार्य अपनी बुद्धिमत्ता एवं बल क्षमता के द्वारा कर सकता है एवं अन्य जीव जंतुओं से करवाने में सक्षम माना जाता है। परंतु जब वही मानव कुछ ऐसा करे जो उसके सर्वोत्तम होने पर प्रश्रचिन्ह लगाए तब संभवतः यह कहना कदापि गलत न होगा कि जानवर कही बेहतर है हम मनुष्यों के अंतर, जो अधिकतर मात्र भोजन के लिए ही लड़ते नज़र आते है, कोई अन्य भेदभाव किसी भी आधार पर नही उनमें सब जंगल के मंगल में मस्त न कोई जाति न कोई लिंग भेद न धार्मिक मान्यताओं की बाध्यता।

सामाजिक रूप रेखाओं अनुसार हम किसी भी धर्म के अनुयायी हो , विभिन्न जातियों का मिश्रण एक सभ्य समाज की परिकाष्ठा तैयार करता है। जहाँ सर्व को समान अधिकार हमारे संविधान अनुसार प्राप्त है, जो कि हमारे देश के आधार का मूलभूत स्वरूप भी है। हमारी हज़ारो साल पुरानी संस्कृति जिस की साक्षी है।

 

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