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एमआरआई के दौरान मासूम बच्ची की मौत पर हंगामा ...

 डॉक्टरों और नर्स पर ओवरडोज इंजेक्शन लगाने का आरोप

कानपुर में हैलट परिसर स्थित लाइफ लाइन एपी डायग्नोस्टिक्स सेंटर में गुरुवार दोपहर एमआरआई के दौरान पांच वर्षीय मासूम की मौत हो गई। एमआरआई करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डाई और बेहोशी की दवा की ओवरडोज दिए जाने का आरोप लगाकर हंगामा किया।

यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम में शव के क्षतविक्षत होने की बात कहकर बगैर पोस्टमार्टम कराए ही शव देकर उन्हें भेज दिया। शिवली (कानपुर देहात) निवासी प्राइवेटकर्मी चांदबाबू की बेटी सौफिया (5) को निचले धड़ का लकवा था। उसे बुधवार रात ढाई बजे बालरोग अस्पताल में डॉ. राज तिलक के अंडर में भर्ती किया गया।गुरुवार सुबह एमआरआई सामान्य और कंट्रास्ट जांच के लिए पीपीपी मोड पर शुरू किए गए हैलट के एपी डायग्नोस्टिक्स सेंटर भेजा गया। डॉ. तिलक ने बताया कि रोगी बोल नहीं पा रही थी। सांस की मांसपेशियां हल्की प्रभावित थीं लेकिन दिल, गुर्दा, लिवर आदि अंग बिल्कुल सही थे। परिजनों ने बताया कि नर्स ने रोगी को दो इंजेक्शन लगाए।

इसके बाद एमआरआई केे लिए ले गए। कुछ देर बाद कर्मचारी बेटी को बाहर लेकर आए। बेटी के शरीर में कोई हरकत न होता देख परिजन हैलट इमरजेंसी पहुंचे। यहां ईसीजी के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इमरजेंसी से इसकी सूचना डॉ. तिलक को दी गई। परिजनों का हंगामा देख डॉक्टरों ने एमआरआई के लिए जमा कराए गए दो हजार रुपये लौटा दिए।

समय-सीमा समाप्त पर चल रहा डायग्नोस्टिक्स सेंटर 

हैलट कैंपस में डायग्नोस्टिक्स सेंटर पीपीपी मोड पर शुरू किया गया है। जितनी अवधि के लिए इसे काम करना था, वह समाप्त हो चुकी है। विभागाध्यक्षों ने भी सेंटर की शिकायत की। इस संबंध में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने प्राचार्य को रिपोर्ट दी थी। डॉक्टरों का कहना है कि डाई भी रिएक्शन करती है। अगर डाई रिएक्शन की तो उसका एंटी डोज दिया जाना चाहिए था। यह जांच का विषय है।बालरोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक ने घटना की सूचना दी है। जांच कराई जा रही है कि बच्चे को एनेस्थीसिया किस डॉक्टर ने दिया, इसके साथ ही डाई के संबंध में भी जानकारी ली जाएगी। यह पता किया जाएगा कि गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है।
- डॉ. आरके मौर्या, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक 

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