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होली से पहले शराब के अवैध कारोबार को चढ़ने लगा रंग ...

उत्पादन तीन गुना तक बढ़ा

कानपुर- पिछले दो सालों में 25 लोगों को मौत की नींद सुलाने वाली मिलावटी शराब बनाने की भट्ठियां होली से पहले फिर सुलग उठी हैं। कानपुर से लगे बिधनू और घाटमपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाने की ये भट्ठियां पुलिस-प्रशासन से साठगांठ के चलते यूं तो कभी ठंडी नहीं हुईं, लेकिन अब होली से पहले इस काम ने फिर से तेजी पकड़ ली है।

त्योहार और उसके अगले दिन होने वाली बंदी को देखते हुए माफियाओं ने ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में उत्पादन तीन गुना तक बढ़ा दिया है। आधा दर्जन से अधिक गांवों में खुलेआम कच्ची शराब तैयार की जा रही है लेकिन इन पर नकेल कसने वाला कोई नहीं।
बिधनू क्षेत्र के हरबसपुर, जामू, कल्यानीपुरवा, सेन, जमरोही, तक्सीमपुर, जादवपुर, कसिगवां, प्रेमपुरवा के अलावा घाटमपुर के छाजा, रेउना, बरनांव और रघुनाथपुर गांवों में कच्ची शराब का धंधा जारी है। पिछले साल जब मिलावटी शराब से मौतें हुई थीं तब आबकारी और पुलिस ने सक्रियता दिखाई थी। कार्रवाई के डर से शराब का काम करने वालों ने शराब बनाने का समय, जगह और सप्लाई करने का भी समय बदल दिया है। कुछ दिन काम बंद रहने के बाद से दोबारा भट्ठियां सुलग उठी हैं। 

हर दिन तीन हजार लीटर की सप्लाई 

घाटमपुर और बिधनू से कच्ची शराब की हर दिन लगभग तीन हजार लीटर की सप्लाई की जा रही है। गांव-गांव शराब पहुंचाई जा रही है। सरकारी ठेकों के साथ ही परचून की दुकानों तक से शराब बेची जा रही है। इसका खुलासा भी आबकारी विभाग खुद कई बार कर चुका है। एलआईयू के पास भी इसकी जानकारी है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। 

रात में बनती शराब, फिर नष्ट कर देते हैं भट्ठियां

कच्ची शराब की भट्ठियां रात भर सुलगती हैं। आधी रात से लेकर तड़के तीन-चार बजे तक शराब बनाते हैं। उसके बाद सुबह छह बजे तक यह शराब ठिकानों तक पहुंचा दी जाती है। शराब बनाने के बाद भट्ठियां भी नष्ट कर दी जाती हैं। सुबह खेतों में राख और मिट्टी के सिवा कुछ नहीं मिलता। एक-दो गांवों में भट्ठियां बनी हुई हैं।

ठेकों पर सप्लाई, शराब माफिया का संरक्षण

मिलावटी और कच्ची शराब की सप्लाई देसी शराब के ठेकों पर भी की जाती है। पिछले साल बसपा नेता योगेंद्र कुशवाहा के अवैध शराब का धंधे का जब खुलासा हुआ था तो पता चला था कि शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए ये लोग केमिकल के अलावा कच्ची शराब भी मिलाते थे। ऐसे में ये शराब माफिया कच्ची शराब बनाने वालों को संरक्षण देते हैं।

मौत का कारोबार करने वालों पर पुलिस की शह

पुलिस, एलआईयू और आबकारी अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी है। खासकर स्थानीय पुलिस की इन शराब बनाने वालों को शह रहती है। बीट सिपाही से लेकर दरोगा व थानेदार को पता है कि शराब कहां बन रही और कौन बना रहा है पर, कार्रवाई से कतराते हैं। सूत्रों के मानें तो सबका हिस्सा बंधा हुआ है। 

शराब नहीं हर घूंट जहर है

कच्ची शराब का एक-एक घूंट जहर है। बगैर किसी पैमाने के ये शराब बनाई जाती है। इसे महुआ से बनाते हैं। इसमें डाइजापाम, नाइट्रावेट, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, यूरिया आदि को मिलाया जाता है। इससे शराब अधिक नशीली होती है। हालांकि अप्रशिक्षित लोग शराब तैयार करते हैं, कोई भी केमिकल या तापमान कम ज्यादा हुआ तो यह शराब जहर बन जाती है। एक पौआ 30 से 50 रुपये में बेचते हैं।

 जहरीली शराब से मौतें

 2018 में सचेंडी में जहरीली शराब से 18 लोगों की मौत हुई थी। 2019 में घाटमपुर में आठ लोगों की जान गई थी। मिलावटी व कच्ची शराब को लेकर लगातार कार्रवाई की जा रही है। कुछ गांवों में शराब बनने की जानकारी मिली है। वहां पर जल्द कार्रवाई की जाएगी। शराब बनाने वालों पर रिपोर्ट दर्ज करवाकर जेल भेजा जाएगा। - अरविंद कुमार मौर्या, जिला आबकारी अधिकारी

अवैध शराब के कारोबारी पर हर संभव कार्रवाई जारी है। खासकर बिधनू और घाटमपुर समेत अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस व एलआईयू सक्रिय है। जहां शराब बन रही होगी, वहां कार्रवाई की जाएगी। - प्रद्युम्न सिंह, एसपी ग्रामीण

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